पंजाब में धान की सीधी बिजाई के अधीन क्षेत्रफल 6 लाख हेक्टेयर से अधिक, बठिंडा जि़ले के किसान अग्रणी

By विजयेन्दर शर्मा | Aug 04, 2021

चण्डीगढ़। पंजाब के किसानों ने धान की सीधी बिजाई की तकनीक अपनाने में गहरी रूचि ज़ाहिर की है। धान के मौजूदा सीज़न के दौरान किसानों ने 6.01 लाख हेक्टेयर (15.02 लाख एकड़) क्षेत्रफल को इस नवीनतम तकनीक के अधीन लाया है। पंजाब रिमोर्ट सैसिंग सैंटर, लुधियाना की रिपोर्ट के मुताबिक अब तक सबसे अधिक क्षेत्रफल सीधी बिजाई के अधीन आया है। इस साल राज्य में धान के अधीन कुल क्षेत्रफल में से 23 प्रतिशत क्षेत्र पानी की बचत करने वाली इस तकनीक के अधीन आ चुका है। राज्य में सीधी बिजाई की तकनीक अपनाने में बठिंडा जि़ले के किसानों ने बाज़ी मारी है, जिन्होंने 52,760 हेक्टेयर क्षेत्रफल इस तकनीक के अधीन लाया है। इसके बाद श्री मुक्तसर साहिब और फाजिल्का जिलों में क्रमवार 46,820 हेक्टेयर और 45,850 हेक्टेयर क्षेत्रफल सीधी बिजाई के अधीन लाया गया है। 

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आज यहाँ यह जानकारी देते हुए कृषि विभाग के डायरैक्टर सुखदेव सिंह सिद्धू ने बताया कि बीते वर्ष तकरीबन 5 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल धान की रिवायती बिजाई की जगह सीधी बिजाई के अधीन आया था, जिसमें श्री मुक्तसर साहिब के किसानों ने 46,510 हेक्टेयर क्षेत्रफल इस तकनीक के अधीन लाकर बाज़ी मारी थी। उन्होंने आगे कहा कि धान के मौजूदा सीज़न के दौरान किसानों ने इस तकनीक को अपनाने में उत्साह दिखाया, जिस कारण इस बिजाई के अधीन क्षेत्रफल बढक़र 6.01 लाख तक पहुँच गया है। उन्होंने आगे यह भी बताया कि इस तकनीक से किसानों द्वारा 10 से 15 प्रतिशत पानी की बचत की जा सकती है। 

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डायरेक्टर ने बताया कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की हिदायतों पर कृषि विभाग ने पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी, लुधियाना के साथ मिलकर विशेष मुहिम आरंभ की थी, जिससे किसानों को बड़े स्तर पर सीधी बुवाई की तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सके। उन्होंने कहा कि पंजाब भर से किसानों से मिले व्यापक प्रोत्साहन से इन यत्नों को बढ़ावा मिला है। सिद्धू ने कहा कि यह नवीनतम तकनीक बीते वर्ष ही बहुत सहायक सिद्ध हुई थी, जिसके अंतर्गत 15-20 प्रतिशत पानी बचाने के अलावा धान की पैदावार की लागत में भी कमी आई थी। उन्होंने कहा कि पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों के अनुसंधान और रिपोर्टों के मुताबिक धान की सीधी बिजाई के अधीन क्षेत्रफल में पैदावार भी पारंपरिक तकनीक के बराबर ही होता है।

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