कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी के आगे झुके इमरान खान, लेना पड़ा ऐसा फैसला

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 20, 2021

इस्लामाबाद/लाहौर। पाकिस्तान सरकार ने मंगलवार को फ्रांसीसी राजदूत को निष्कासित करने तथा प्रतिबंधित तहरीक-ए-लब्बैक के खिलाफ दायर सभी आपराधिक मामलों को रद्द करने के लिए संसद में प्रस्ताव पेश करने की घोषणा की थी। बाद में सत्तारूढ़ तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के नेता अमजद अली खान ने नेशनल असेंबली में इस संबंध में प्रस्ताव पेश किया। पाकिस्तान सरकार की कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी के साथ लंबी वार्ता के बाद प्रस्ताव लाने के लिए सहमति बनी थी। अमजद अली खान के प्रस्ताव पेश किये जाने के दौरान आसन पर स्पीकर असर कैसर थे। हालांकि तकनीकी रूप से यह आधिकारिक दस्तावेज नहीं है क्योंकि इसे एक सदस्य ने निजी ओहदे से पेश किया है लेकिन इसे चर्चा के लिए स्वीकार कर लिया गया।

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एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि फ्रांसीसी राजदूत का निष्कासन पश्चिमी दुनिया में ईशनिंदा की घटनाओं को रोकने का कोई हल नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘इससे दूसरे देशों में ईशनिंदा की घटनाएं और बढ़ेंगी क्योंकि पश्चिमी देश इसे अभिव्यक्ति की आजादी कहते हैं।’’ पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख राशिद ने मंगलवार को एक वीडियो वक्तव्य में कहा था, ‘‘टीएलपी के साथ लंबी बातचीत और उसके साथ बनी सहमति के तहत फ्रांसीसी राजदूत को निष्कासित करने पर नेशनल असेंबली में मंगलवार को प्रस्ताव पेश किया जाएगा।’’ राशिद ने कहा कि टीएलपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज आतंकवाद के आरोपों वाले मामलों को वापस लिया जाएगा। इसके अलावा चौथी अनुसूची से टीएलपी नेताओं के नाम भी हटाये जाएंगे। फ्रांसीसी राजदूत को निकालना टीएलपी की चार प्रमुख मांगों में से एक है। पार्टी के सदस्यों द्वारा देशभर में फ्रांस विरोधी प्रदर्शन किये जाने के बाद पिछले सप्ताह उस पर प्रतिबंध लगाया गया था। सोमवार को नेशनल असेंबली का सत्र 22 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। हालांकि मंत्री के बयान के कुछ ही देर बाद घोषणा की गयी कि कार्यक्रम में बदलाव किया गया है और सत्र की बैठक अब 20 अप्रैल को अपराह्न तीन बजे से होगी।

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राशिद ने कहा कि टीएलपी ने लाहौर और देश में अन्य स्थानों पर अपने धरने समाप्त करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि पार्टी के साथ आगे बातचीत चलती रहेगी। टीएलपी ने फ्रांस में प्रकाशित पैगंबर मोहम्मद के कार्टूनों को लेकर फ्रांस के राजदूत को पाकिस्तान से निष्कासित करने के लिए 20 अप्रैल की समयसीमा दी थी। कार्टूनों के खिलाफ पार्टी ने पिछले साल नवंबर में व्यापक प्रदर्शन शुरू किये थे। अमजद अली खान के प्रस्ताव में फ्रांसीसी पत्रिका चार्ली हेब्दो में पिछले साल सितंबर में प्रकाशित कार्टूनों की निंदा की गयी और ‘अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर सैकड़ों मुस्लिमों की भावनाएं आहत करने वाले तत्वों को फ्रांस के राष्ट्रपति द्वारा बढ़ावा दिये जाने पर अफसोस’ जताया गया। प्रस्ताव में कहा गया कि कार्टूनों के मुद्दे पर फ्रांसीसी राजदूत को पाकिस्तान से निकालने पर सदन में चर्चा होनी चाहिए। प्रस्ताव के अनुसार, ‘‘यह सदन यह मांग भी करता है कि सरकार को अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मामलों पर फैसला लेना चाहिए और कोई व्यक्ति, समूह या पार्टी अनावश्यक अवैध दबाव नहीं बना सकते।’’

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इसमें कहा गया है कि आमतौर पर सभी यूरोपीय देशों और विशेष रूप से फ्रांस को ईशनिंदा के इस मुद्दे की गंभीरता से अवगत कराया जाना चाहिए। प्रस्ताव में कहा गया कि इस विषय को सभी मुस्लिम देशों के साथ बातचीत करते हुए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया जाएगा। मुख्य विपक्षी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम ने सत्र में भाग लिया लेकिन पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने इसका बहिष्कार किया। पीएमएल-एन के अहसन इकबाल ने मांग की कि प्रधानमंत्री या किसी मंत्री को प्रस्ताव पारित करना चाहिए ताकि इसे आधिकारिक दस्तावेज बनाया जा सके और सरकार को विपक्ष से चर्चा के बाद एक नया प्रस्ताव लाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हम इस संवेदनशील विषय पर सरकार के साथ सहयोग चाहते हैं लेकिन मौजूदा स्वरूप में प्रस्ताव का समर्थन नहीं कर सकते।’’ योजना मंत्री असद उमर ने सहयोग के प्रस्ताव का स्वागत किया और कहा कि सरकार विपक्ष के साथ प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए मतदान बाद में कराने को तैयार है। स्पीकर कैसर ने कहा कि वह सदन को चर्चा के लिए समय देंगे। उन्होंने सत्र की कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी।

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