हाफिज सईद पर दिखावटी कार्रवाई कर फिर सबकी आंखों में धूल झोंक रहा है पाक

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 09, 2019

पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों और उसके आकाओं पर कार्रवाई के लिए बढ़ते जा रहे भारत के दबाव का असर दिखने लगा है और गत सप्ताह कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा। संयुक्त राष्ट्र ने 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड और जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद की वह अपील खारिज कर दी जिसमें उसने प्रतिबंधित आतंकवादियों की सूची से अपना नाम हटाने की गुहार लगाई थी। खास बात यह है कि यह फैसला ऐसे समय में आया है जब संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध समिति को जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर पाबंदी लगाने का एक नया अनुरोध प्राप्त हुआ है। हाफिज सईद जोकि आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का भी सह-संस्थापक है, की अपील संयुक्त राष्ट्र ने तब खारिज की जब भारत ने उसकी गतिविधियों के बारे में विस्तृत साक्ष्य मुहैया कराए। साक्ष्यों में ‘‘अत्यंत गोपनीय सूचनाएं’’ भी शामिल थीं। 

क्यों लगी थी पाबंदी ?

 

संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित जमात-उद-दावा के मुखिया सईद पर 10 दिसंबर 2008 को पाबंदी लगाई थी। मुंबई हमलों के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उसे प्रतिबंधित किया था। मुंबई हमलों में 166 लोग मारे गए थे। सईद ने 2017 में लाहौर स्थित कानूनी फर्म ‘मिर्जा एंड मिर्जा’ के जरिए संयुक्त राष्ट्र में एक अपील दाखिल कर पाबंदी खत्म करने की गुहार लगाई थी। अपील दाखिल करते वक्त वह पाकिस्तान में नजरबंद था।

 

प्रतिबंध के मायने क्या ?

 

1267 समिति द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने पर इसके तीन प्रमुख परिणाम होते हैं। इसके तहत संपत्ति के इस्तेमाल पर रोक लगा दी जाती है, यात्रा प्रतिबंध लागू कर दिया जाता है और हथियारों की खरीद पर पाबंदी लगा दी जाती है। संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों के लिए इन पर अमल करना बाध्यकारी होता है। समिति इन प्रतिबंध उपायों पर अमल की निगरानी करती है। वह प्रतिबंध सूची में किसी का नाम डालने या किसी का नाम हटाने पर भी विचार करती है। भारत के साथ-साथ अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे उन देशों ने भी सईद के अनुरोध का विरोध किया जिन्होंने मूल रूप से उसे प्रतिबंध सूची में डाला था। चौंकाने वाली बात यह रही कि पाकिस्तान ने सईद की अपील का कोई विरोध नहीं किया।

 

 

पाकिस्तान का नया पैंतरा

 

भारत सरकार के प्रयासों के बाद पाकिस्तान पर आतंक के आकाओं पर सख्त कार्रवाई का जो अंतरराष्ट्रीय दबाव पड़ रहा है यह उसी का असर भी कहा जा सकता है कि पाकिस्तान में अधिकारियों ने हाफिज सईद की अगुवाई वाले आतंकवादी संगठन जमात-उद-दावा का लाहौर स्थित मुख्यालय और इसकी कथित परमार्थ शाखा फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन के मुख्यालय को भी इस सप्ताह सील कर दिया है तथा 120 से अधिक संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार कर लिया है। पाकिस्तान पंजाब के गृह विभाग ने गुरुवार को जारी बयान में कहा, 'सरकार प्रांत में प्रतिबंधित संगठनों की मस्जिदों, मदरसों और अन्य संस्थाओं का नियंत्रण अपने हाथों में ले रही है। बयान के मुताबिक, ‘‘हमने प्रतिबंधित संगठनों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है।’’ लेकिन पाकिस्तान सरकार की इस कार्रवाई पर शक भी होता है क्योंकि जब प्रशासन एवं पुलिस के अधिकारी इमारत का नियंत्रण अपने हाथों में लेने के लिए वहां पहुंचे तो सईद और उनके समर्थकों ने कोई विरोध नहीं किया। अपने समर्थकों के साथ सईद जौहर टाउन स्थित अपने आवास के लिए रवाना हो गया।

 

खुतबा पढ़ने से रोका

 

पाकिस्तानी पंजाब प्रांत की सरकार ने हाफिज सईद पर सख्ती का एक और उदाहरण प्रस्तुत किया है। दरअसल इस शुक्रवार को राज्य सरकार ने लाहौर में जमात उद दावा मुख्यालय में हाफिज सईद को खुतबा पढ़ने से रोक दिया जहां सरकार की तरफ से नियुक्त मौलाना ने नमाज पढ़वाई और साप्ताहिक खुतबा पढ़ा। करीब दो दशक पहले जेयूडी के मुख्यालय जामिया मस्जिद अल कदासिया की स्थापना के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि सरकार की तरफ से नियुक्त मौलाना ने जुम्मे के दिन खुतबा पढ़ा हो। मस्जिद कदासिया जब पंजाब सरकार के नियंत्रण में था तब भी सईद को शुक्रवार को खुतबा पढ़ने से नहीं रोका गया था।

जेयूडी परिसर के आसपास शुक्रवार की सुबह से ही भारी संख्या में पुलिस बल तैनात था। सरकार की कार्रवाई से पहले काफी संख्या में लोग सईद का खुतबा सुनने के लिए हर शुक्रवार को मस्जिद में इकट्ठा होते थे जिनमें अधिकतर जेयूडी के कार्यकर्ता और इससे सहानुभूति रखने वाले होते थे।

 

पोल खोल

 

अब पाकिस्तान सरकार यह सब कार्रवाई करने का जो ढोंग कर रही है उसकी पोल खोलते हैं। दरअसल पाकिस्तान की प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों के खिलाफ की गई हालिया कार्रवाई महज एक "दिखावा" है ताकि वह अपनी धरती से हुए बड़े आतंकवादी हमलों को लेकर पश्चिमी देशों को संतुष्ट कर सके। आतंकवाद के खिलाफ युद्ध की खबरें देने वाली अमेरिका स्थित एक समाचार वेबसाइट ने यह जानकारी दी है। पाकिस्तान ने मंगलवार को कहा था कि उसने अपने यहां सक्रिय आतंकवादी संगठनों पर लगाम लगाने को लेकर वैश्विक समुदाय की ओर से बढ़ते दबाव के बीच जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर के बेटे और भाई समेत प्रतिबंधित संगठन के 44 सदस्यों को ‘‘एहतियात के तौर पर हिरासत’’ में लिया है। इस्लामाबाद ने यह भी कहा था कि वह प्रतिबंधित आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन जमात-उद-दावा से जुड़े सभी संस्थानों को बंद कर रहा है। यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में 14 फरवरी को पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमले के बाद भारत के साथ बढ़े तनाव के बीच लिया है। पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे। भारत ने हाल ही में पुलवामा हमले को लेकर जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये पाकिस्तान को एक डॉजियर सौंपा था।

 

'लॉंग वॉर जरनल' ने टिप्पणी की, "यदि अतीत को ध्यान में रखा जाए तो यह कोशिशें पाकिस्तान की धरती से हुए बड़े आतंकवादी हमलों को लेकर पश्चिमी देशों को संतुष्ट करने के लिये महज एक दिखावा है।" वेबसाइट ने कहा, विडंबना यह है कि पाकिस्तानी जनरलों और सरकारी अधिकारियों ने नियमित रूप से कहा कि आतंकवादी समूहों को पाकिस्तानी धरती पर संचालन की अनुमति नहीं है। फिर भी जमात-उद-दावा रावलपिंडी में स्वतंत्र रूप से अपना काम करता है, उस शहर में जहां पाकिस्तान का सैन्य मुख्यालय मौजूद है।" टिप्पणी में कहा गया है कि हाफिज सईद को बीते दो दशक के दौरान कम से कम चार बार "एहतियातन हिरासत" में रखा गया, सिर्फ रिहा करने के लिये। और पाकिस्तान सरकार का नाया कारनामा भी देखिये- पाकिस्तान ने हाफिज सईद से पूछताछ करना चाह रही संयुक्त राष्ट्र की एक टीम का वीजा अनुरोध ठुकरा दिया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध सूची से अपना नाम हटवाने के लिए सईद की ओर से दायर अर्जी के सिलसिले में यह टीम पाकिस्तान में जमात-उद-दावा प्रमुख से पूछताछ करना चाह रही थी।

 

-नीरज कुमार दुबे

 

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