पाकिस्तान ने जमात-उद-दावा, FIF की संपत्ति और मदरसों को अपने कब्जे में लिया

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 06, 2019

इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने बुधवार को प्रतिबंधित संगठनों के खिलाफ जारी कार्रवाई में तेजी लाते हुए मुंबई आतंकवादी हमले के सरगना हाफिज सईद के नेतृत्व वाले जमात-उद-दावा और इसकी शाखा फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) से संबंधित कई मदरसों और उनकी संपत्ति को अपने कब्जे में ले लिया। मंगलवार को पाकिस्तान ने जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन को औपचारिक रूप से प्रतिबंधित सूची में डाला था जिसके बाद इन प्रतिबंधित संगठनों की संपत्ति को कब्जे में लिया गया।

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मंगलवार को संशोधित की गयी पाकिस्तान के राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक प्राधिकरण (एनएसीटीए) की इस सूची के अनुसार जमात और एफआईएफ, आतंकवाद निरोधक कानून, 1997 के तहत गृह मंत्रालय द्वारा प्रतिबंधित 70 संगठनों में शामिल हैं। ‘डॉन’ अखबार की खबर के अनुसार राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपी) के तहत कानून लागू करने वाली एजेंसियों द्वारा शुरू की गयी ताजा मुहिम के तहत प्रतिबंधित जमात और एफआईएफ से संबंधित मदरसों एवं संपत्ति को पाकिस्तान सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया है।

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इसके अनुसार पंजाब प्रांत के अतिरिक्त मुख्य सचिव की वीडियो लिंक के जरिये आयुक्तों एवं संभागीय पुलिस प्रमुखों के साथ हुई बैठक के बाद चकवाल और अटक जिलों में बड़ी कार्रवाई की गयी। बैठक में संबंधित अधिकारियों को उनकी संपत्ति को अपने कब्जे में लेने का आदेश दिया गया था। इसके बाद की कार्रवाई में चकवाल में जमात के मदरसों तालागंग इलाका स्थित मदरसा खालिद बिन वालिद और चकवाल की रेलवे रोड पर स्थित मदरसा दारूस सलम के साथ उनके कर्मचारी औकाफ विभाग की निगरानी में है। पंजाब प्रांत के निर्देशों के बाद मदरसों को कब्जे में लेने के लिये वहां अधिकारी नियुक्त किये गये।

 

खबर के अनुसार 27 फरवरी को संभागीय खुफिया समिति के ताजा सर्वेक्षण के दौरान जमात और एफआईएफ की संपत्ति का अटक जिले में भी पता चला है। इसके अनुसार अटक के जिला प्रशासन ने इनकी संपत्ति पर प्रबंधकीय और संचालनगत नियंत्रण कर लिया है।इन संपत्ति में अटक में मदरसा और मस्जिद मुसाब बिन उमेर शामिल हैं। यह निर्माणाधीन संपत्ति 13-कनाल (1.6 एकड़) में फैली है और इसका मासिक खर्च 60,000 रुपये है। अटक जिला शिक्षा प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया है। इसी तरह से मासिक 48,000 रुपये खर्च से चल रही एफआईएफ की एक एंबुलेंस को अटक में जिला आपात कार्यालय ने अपने कब्जे में ले लिया है।

 

इसके अनुसार रावलपिंडी संभाग के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि सरकार ने एलएपी के तहत कार्रवाई को लेकर सुरक्षा एजेंसियों द्वारा चलायी जा रही मुहिम से संबंधित कोई विशेष निर्देश नहीं दिये हैं। जमात और एफआईएफ दोनों को जनवरी 2017 में निगरानी सूची में डाला गया था। पाकिस्तान सरकार ने सोमवार को एक और आदेश जारी करते हुए कहा था कि उसने संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित संगठनों जैसे कि जमात उद दावा और एफआईएफ की संपत्ति जब्त कर ली है।

 

अधिकारियों के अनुसार जमात के नेटवर्क में 300 मदरसे और स्कूल, अस्पताल, एक पब्लिशिंग हाउस, एंबुलेंस सेवाएं शामिल हैं। दोनों संगठनों में करीब 50,000 कार्यकर्ता और सैकड़ों अन्य वैतनिक कर्मचारी हैं। जमात को लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन माना जाता है। लश्कर मुंबई हमले के लिये जिम्मेदार है, जिसमें 166 लोग मारे गये थे। अमेरिका ने जून 2014 में उसे विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया था। अमेरिका के वित्त विभाग ने इसके प्रमुख सईद को 2012 से ही विशेष तौर पर घोषित वैश्विक आतंकवादी की सूची में डाल रखा है और उस पर एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा है।

 

सईद को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव 1267 में दिसंबर 2008 में सूचीबद्ध किया गया था। नवंबर 2017 में उसे पाकिस्तान में नजरबंदी से रिहा कर दिया गया था। एनएसीटीए ने बलूचिस्तान, गिलगित-बाल्टीस्तान और संघीय शासित कबायली इलाकों (एफएटीए) में स्थित 70 आतंकवादी संगठनों को अब तक प्रतिबंधित और जब्त योग्य घोषित किया है। सरकार पहले ही विभिन्न प्रतिबंधित संगठनों के कुल 44 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। अपनी सरजमीं से संचालित आतंकवादी संगठनों पर लगाम लगाने को लेकर वैश्विक समुदाय से बढ़ते दबाव के बीच पाकिस्तान ने मंगलवार को कहा कि ‘‘एहतियाती हिरासत’’ में लिये गये प्रतिबंधित संगठनों के 44 सदस्यों में जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर का बेटा और भाई भी शामिल हैं।

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