पंचायतें लोगों की भलाई के लिए हैं या उन पर जुल्म करने के लिए?

By मनोज झा | Mar 12, 2018

देश में बड़ी-बड़ी खबरों के बीच पिछले दिनों हुई दो घटनाओं ने मुझे झकझोर कर रख दिया। मुझे समझ में नहीं आ रहा कि आखिर हम किस दुनिया में जी रहे हैं। हम बात कर रहे हैं बिहार के सुपौल और यूपी के सहारनपुर की...सबसे पहले बात सुपौल की...सुपौल में लव मैरिज करने पर एक प्रेमी-जोड़े के साथ पंचायत ने जो सूलक किया उसने मुझे पूरी तरह हिलाकर रख दिया। घर से भागकर लव मैरिज करने के बाद जब प्रेमी-जोड़ा गांव लौटा तो पंचायत ने पहले तो दोनों से उठक-बैठक कराई फिर उन्हें सरेआम थूक चाटने पर मजबूर किया गया। जब पंचायत का मन इतने से भी नहीं भरा तो उन्होंने दोनों पर 11-11 हजार का जुर्माना ठोंक दिया। वीडियो वायरल होने के बाद और मीडिया में खबर आने पर पुलिस ने आरोपियों पर केस तो दर्ज कर लिया लेकिन इस घटना ने फिर से साबित कर दिया कि हम किस दुनिया में जी रहे हैं।

दूसरी घटना यूपी के सहारनपुर की थी....यहां तो पंचायत ने सारी हदें पार कर दी। प्रेम-संबंधों के शक में पहले तो युवक को पीटा गया फिर उसे जबरन पेशाब पिलाया गया। अपने साथ हुई इस अमानवीय घटना से युवक इस कदर आहत हुआ कि उसने जहर खाकर जान देने की कोशिश की।

 

पंचायत की दरिंदगी का ये सिलसिला नया नहीं है...इससे पहले भी देश के अलग-अलग कोने से हमें पंचायत की बर्बरता के किस्से सुनने को मिलते रहते हैं। लेकिन अफसोस समाज के ऐसे लोगों को कभी कड़ी सजा नहीं मिलती। देश में जब पंचायती राज व्यवस्था की शुरूआत हुई थी उसके पीछे सोच यही थी कि इससे एक तरफ जहां लोकतंत्र मजबूत होगा वहीं गांवों का समुचित विकास होगा। आजादी के बाद गांवों का विकास तो हुआ लेकिन समाज के कमजोर लोगों पर जुल्म होना कम नहीं हुआ। राजनीतिक दलों की मदद से पंचायत में जगह बनाने के बाद गांव के रसूख लोग अपनी समानांतर सरकार चलाने लगते हैं। कानून को ठेंगा दिखाते इन लोगों की नजर में इंसान की कोई कीमत नहीं...कभी रेप के आरोपी को 500 रुपए जुर्माना सुनाकर छोड़ दिया जाता है तो कभी किसी महिला को डायन करार देकर उसे सरेआम नंगा कर घुमाते हैं।

 

सवाल उठता है कि आखिर ये सिलसिला कब तक चलता रहेगा....कोई शख्स लव मैरिज करे या किसी दूसरे धर्म में शादी रचाए इससे पंचायत को क्या लेना-देना? अभी हाल ही में खाप पंचायत से जुड़े ऑनर किलिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया था। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में साफ-साफ कहा कि बालिग लड़का या लड़की अपनी मर्जी से शादी कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अगर दो बालिग शादी करने का फैसला करते हैं तो उसमें किसी को भी दखल देने का अधिकार नहीं।

 

जरा सोचिए देश की सर्वोच्च अदालत राज्य सरकारों को फटकार लगा रही है...लेकिन उसके बाद भी सुपौल और सहारनपुर जैसी घटनाएं हो रही हैं। हमें लगता है अब राज्य सरकारों को नींद से जागना होगा...उन्हें वोट बैंक से ऊपर उठकर सोचना होगा....सुपौल और सहारनपुर की घटना दोबारा ना हो इसके लिए सरकार को सख्ती दिखानी होगी। सरकार को हर जिले के एसपी तक ये संदेश पहुंचाना होगा कि अगर उनके यहां इस तरह की घटनाएं सामने आईं तो फिर सीधे-सीधे उन पर कार्रवाई होगी...पंचायत की गुंडागर्दी पर लगाम लगाने के लिए राज्य सरकारों को सख्ती दिखानी होगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर ये सिलिसिला ऐसे ही चलता रहेगा?

 

मनोज झा

(लेखक टीवी चैनल में पत्रकार हैं।)

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