By अंकित सिंह | Jul 02, 2021
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी ने कैपिटल हिल में 6 जनवरी को हुए हिंसक झड़प की जांच के लिए रिपब्लिकन लिज़ चेनी को आन्य सात डेमोक्रेट्स के साथ एक पैनल में नामित किया गया। चेनी उन तीन हाउस रिपब्लिकन में शामिल थीं, जिन्होंने दंगों को भड़काने के आरोप में डोनाल्ड ट्रम्प के महाभियोग के लिए मतदान किया था। आपको बता दें कि कैपिटल हमले में पुलिस अधिकारी सहित पांच लोग मारे गए थे। चयन समिति के नामों की घोषणा करते हुए पेलोसी ने कहा कि 6 जनवरी का हमला केवल एक इमारत पर हमला नहीं था, बल्कि सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण पर हमला था।
पेलोसी ने चेनी की नियुक्ति की घोषणा करते हुए कहा कि हम बहुत सम्मानित और गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं कि वह समिति में काम करने के लिए सहमत हो गई हैं। दूसरी ओर चेनी ने कहा कि हमले की पूरी जांच के लिए समिति ही एकमात्र विकल्प है। चेनी ने कहा कि यूएस कैपिटल पर हमले की जांच के लिए चयन समिति में चयनित होने पर मैं सम्मानित महसूस कर रही हूं। चेनी ने आगे कहा कि संविधान के प्रति उनकी शपथ और कानून के शासन और सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण की प्रतिबद्धता हमेशा पक्षपातपूर्ण राजनीति से ऊपर होनी चाहिए। वहीं, रिपब्लिकन नेतृत्व ने समिति को पक्षपातपूर्ण बताते हुए खारिज कर दिया है।
सदन ने विशेष समिति को उस घटना की जांच करने की मंजूरी दे दी और इस दौरान वे पुलिस अधिकारी सदन में मौजूद थे जो पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों से झड़प में घायल हो गए थे। समिति के गठन की मंजूरी 190 के मुकाबले 222 मतों से दी गई। रिपब्लिकन पार्टी के दो सदस्यों को छोड़कर बाकी सभी ने इस बात पर आपत्ति जताई कि समिति के अधिकतर सदस्य डेमोक्रेटिक पार्टी से होंगे। इससे पहले सीनेट में रिपब्लिकन सदस्यों ने स्वतंत्र आयोग के गठन को रोक दिया था। मतदान से पहले सदन की अध्यक्ष डेमोक्रट नैंसी पेलोसी ने सांसदों से कहा कि वह चाहती थीं कि इस मामले की जांच एक स्वतंत्र समिति करे लेकिन कांग्रेस 200 साल से भी अधिक समय में कैपिटल पर हुए हमले की गहराई से जांच के लिए और इंतजार नहीं कर सकती।
आपको बता दें कि इसी साल 6 जनवरी को अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हजारों समर्थक अमेरिकी कैपिटल में घुस गए थे और पुलिस के साथ उनकी झड़प हुई थी। इन घटनाओं में एक महिला समेत पांच लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे। साथ ही नए राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडन के नाम पर मोहर लगाने की संवैधानिक प्रक्रिया बाधित हुई थी। पुलिस को इन प्रदर्शनकारियों को काबू करने में काफी मश्क्कत करनी पड़ी थी। इन हालात में प्रतिनिधिसभा और सीनेट तथा पूरे कैपिटल को बंद कर दिया गया था। ट्रंप समर्थकों के हंगामे की दुनिया भर के नेताओं ने निंदा की थी और हंगामे की वजह से देश में उपजे हालात पर क्षोभ जताया है।