गीतकार प्रवीण त्रिपाठी ने 'उठाई नज़र जो कभी दुश्मनों ने' गीत में सैनिकों शौर्य का वर्णन किया है। गीतकार ने गीत में बताया है कि सीमा पर खड़े सैनिकों को कितनी भी कठिनाइयां आयें लेकिन वह देशभक्ति के जज्बे से पीछे नहीं हटते हैं। गीतकार ने इस गीत में बताया कि सैनिक बहादुरी के साथ सीमा पर डटे रहते है।
उठाई नज़र जो कभी दुश्मनों ने,
हमारे सिपाही उन्हें नोच लेंगे।
जो बैरी करेगा जरा भी हिमाकत,
लड़ाई उन्हीं की ज़मीं पर लड़ेंगे।
खड़े तान सीना सिपाही अटल हैं।
तो जजबात भी उनके उतने प्रबल हैं।
अगर अपनी पर वो कभी आ गए तो
खतम बरियों की जमातें करेंगे।
उठाई नज़र जो..............
भले हो गलाती सियाचिन की सर्दी
न हिलता है प्रहरी जो पहने है वर्दी।
भरा भाव रक्षा करें राष्ट्र की यदि
कभी पैर रिपु को आगे नहीं बढ़ने देंगे।
उठाई नज़र जो..............
चलें रेत की आँधियाँ गर्मियों में
कमी है न आती कभी हौसलों में।
खड़े टैंक तोपें भी यदि सामने हों।
उन्हें ध्वस्त कर के तभी सांस लेंगे।
उठाई नज़र जो..............
घने जंगलों में कहीं भी छिपा हो।
वहीं पर करें खत्म आतंकियों को।
सदा सोचते जो कि जन्नत मिलेगी
उन्हें हूर के पास हम भेज देंगे।
उठाई नज़र जो..............
उठाई नज़र जो कभी दुश्मनों ने,
उन्हें डाल आँखें वहीं उत्तर देंगे।
प्रवीण त्रिपाठी