By अंकित सिंह | Jun 29, 2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में 2019 में एनडीए की सरकार बनी थी। उसके बाद प्रधानमंत्री ने मंत्री परिषद के अपने सदस्यों के साथ शपथ ली थी। तब से लगातार कैबिनेट विस्तार को लेकर इंतजार किया जा रहा है। इन सबके बीच वर्तमान में यह खबर लगातार चल रही है कि आने वाले कुछ दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं। हालांकि यह विस्तार कब होगा इसके बारे में फिलहाल कोई तारीख तय नहीं है। लेकिन आने वाले चुनाव को ध्यान में रखते हुए और समीकरणों को साधने के लिए मंत्रिमंडल का विस्तार लगभग तय माना जा रहा है।
इन सबके बीच इस बात की भी चर्चा है कि इस मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा अपनी सहयोगी जदयू को कितनी मंत्री पद देगी। वर्तमान में देखें तो भाजपा के साथ बड़ी पार्टी के रूप में जदयू ही मौजूद है। शिवसेना और अकाली दल पहले ही एनडीए से अलग हो गए हैं। ऐसे में इस बात के कयास लगाए जा रहे है कि जदयू को दो मंत्री पद दिए जा सकते हैं। हालांकि दो मंत्री पद के कोटे से नीतीश कुमार और उनकी पार्टी खुश नहीं है। नीतीश कुमार का मानना है कि दो मिलने से अच्छा है कि एक भी ना मिले। दरअसल, जदयू में 2 चेहरों का चयन करना नीतीश कुमार के लिए मुश्किल है। भाजपा 2014 से अपनी सहयोगियों को सिर्फ एक मंत्री पद देती आई है। यही कारण था कि 2019 में शपथ ग्रहण के मौके पर जदयू ने मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया था।
वर्तमान में मोदी मंत्रिमंडल के प्रबल दावेदारों में जदयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह और दूसरे ललन सिंह का नाम आगे चल रहा है। दोनों नीतीश कुमार के बेहद ही करीबी हैं और भरोसेमंद भी हैं। लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार अपने वोट बैंक का विस्तार देने में लगे हैं। ऐसे में नीतीश कुमार का मानना है कि उनकी प्राथमिकता अति पिछड़ा और अति दलित को भी महत्व देना है। ऐसे में कम से कम उन्हें केंद्र में पांच मंत्री पद चाहिए होगा जिससे कि वह सभी तरह के समीकरणों को साध सके। जदयू की यह मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा को धर्म संकट में डाल सकती है। हालांकि जिस तरह से भाजपा नीतीश के लिए अपने कार्य शैली में लचीलापन रखती है उससे ऐसा लगता है कि कम से कम 3 से 4 मंत्री पद पर बात बन सकती है।
नीतीश का मानना है कि ललन सिंह और आरसीपी सिंह के अलावा अन्य मंत्री पदों के लिए दलित और पिछड़ी जातियों को आगे किया जा सकता है। भाजपा भी फिलहाल नीतीश कुमार को नाराज नहीं करना चाहेगी। देखना यह होगा कि आखिर नीतीश कुमार की मांग पर कितनी बात बन पाती है। लेकिन जदयू का इस बार केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में शामिल होना लगभग तय माना जा रहा है। हालांकि, नीतीश कुमार की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी इच्छा से अवगत करा दिया गया है। देखना होगा कि नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किस तरह से धर्म संकट से उबार पाते हैं।