By अंकित सिंह | Aug 20, 2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान सोमनाथ मंदिर के भक्तों को बड़ा तोहफा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमनाथ मंदिर में कई योजनाओं की आधारशिला रखी और उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने पार्वती मंदिर का शिलान्यास किया। साथ ही साथ मोदी ने समुद्र दर्शन पैदल पथ तथा सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र का भी उद्घाटन किया। अपने संबोधन की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार वल्लभभाई पटेल का जिक्र करते हुए कहा कि मेरा सौभाग्य है कि सोमनाथ मंदिर ट्रेस्ट के अध्यक्ष के रूप में मुझे इस पुण्य स्थान की सेवा का अवसर मिलता रहा है। आज फिर हम सब इस पवित्र तीर्थ के कायाकल्प के साक्षी बन रहे हैं।
इसके साथ ही मोदी ने कहा कि आस्था को आतंक से कुचला नहीं जा सकता। इस मंदिर को कितनी बार तोड़ा गया, मूर्तियों को खंडित किया गया, इसका अस्तित्व मिटाने की हर कोशिश की गई। लेकिन इसे जितनी बार गिराया गया यह उतनी ही बार उठ खड़ा हुआ। इसीलिए भगवान सोमनाथ मंदिर आज भारत ही नहीं पूरे विश्व के लिए एक विश्वास है और एक आश्वासन भी है। जो तोड़ने वाली शक्तियां हैं, जो आतंक के बलबूते साम्राज्य खड़ा करने वाली सोच है वह कुछ समय के लिए भले ही हावी हो जाए लेकिन उसका अस्तित्व कभी स्थाई नहीं होता। ज्यादा दिनों तक मानवता को दबाकर नहीं रख सकते। यह बात जितनी तब सही थी उतनी ही सही आज भी है।
PM ने कहा कि आज राम मंदिर के रूप में नए भारत के गौरव का एक प्रकाशित स्तम्भ भी खड़ा हो रहा है। हमारी सोच होनी चाहिए इतिहास से सीखकर वर्तमान को सुधारने की, एक नया भविष्य बनाने की। हमारे लिए इतिहास और आस्था का मूल भाव है सबका साथ- सबका विकास - सबका विश्वास और सबका प्रयास। हमारे यहां जिन द्वादश ज्योतिर्लिंगों की स्थापना की गई है, उनकी शुरुआत सोमनाथ मंदिर से ही होती है। पश्चिम में सोमनाथ और नागेश्वर से लेकर पूरब में बैद्यनाथ तक, उत्तर में बाबा केदारनाथ से लेकर दक्षिण में भारत के अंतिम छोर पर विराजमान श्री रामेश्वर तक, ये 12 ज्योतिर्लिंग पूरे भारत को आपस में पिरोने का काम करते हैं। इसी तरह, हमारे चार धामों की व्यवस्था, हमारे शक्तिपीठों की संकल्पना, हमारे अलग अलग कोनों में अलग-अलग तीर्थों की स्थापना, हमारी आस्था की ये रूपरेखा वास्तव में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना की ही अभिव्यक्ति है।