धोखाधड़ी के शिकार पीएनबी को 13,417 करोड़ रुपये का सबसे बड़ा तिमाही घाटा

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 16, 2018

नयी दिल्ली। घोटाले का शिकार हुये देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को समाप्त वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में 13,416.91 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। देश के बैंकों में हुआ यह अब तक का सबसे बड़ा तिमाही घाटा है। बैंक की फंसी कर्ज राशि बढ़ने और उसके लिये ऊंचा प्रावधान किये जाने की वजह से चौथी तिमाही का घाटा बढ़ा है। पीएनबी को इससे पिछले साल की चौथी तिमाही में 261.90 करोड़ रुपये का एकल शुद्ध लाभ हुआ था। बैंक ने कहा है कि नीरव मोदी घोटाले के चलते हुए घाटे की मद में उसने 7,178 करोड़ रुपये का प्रावधान किया। इसके अनुसार 2017- 18 की चौथी तिमाही में हुये इस घोटाले की 14,356 करोड़ रुपये की कुल राशि के समक्ष 50% राशि का प्रावधान किया गया। शेष प्रावधान चालू वित्त वर्ष की तीन तिमाहियों में किया जायेगा। पीएनबी का कहना है कि उसने फर्जी तरीके से जारी किए गए साख पत्रों (एलओयू) तथा विदेशी साख पत्रों (एफएलसी) के मद में अपनी देनदारियों को पूरा करते हुये अन्य बैंकों को 6,586.11 करोड़ रुपये का भुगतान किया। नीरव मोदी व उसके कुछ सहयोगियों ने पीएनबी के कुछ अधिकारियों के साथ कथित सांठ गांठ कर बैंक को दो अरब डालर से अधिक का चूना लगाया।

आलोच्य तिमाही में बैंक की कुल आय घटकर 12,945.68 करोड़ रुपये रह गई जो कि एक साल पहले इसी अवधि में 14,989.33 करोड़ रुपये थी। बैंक की सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) या फंसा कर्ज इस साल मार्च आखिर में बढ़कर 18.38 प्रतिशत हो गया जो कि एक साल पहले 12.53 प्रतिशत था। इस दौरान इसका शुद्ध एनपीए 11.24% रहा जो एक साल पहले 7.81% था। राशि के हिसाब से बैंक का सकल एनपीए चौथी तिमाही में बढ़कर 86,620 करोड़ रुपये हो गया जबकि निवल एनपीए बढ़कर 48,684.29 करोड़ रुपये हो गया।वहीं समूचे वित्त वर्ष 2017-18 के लिए बैंक को 12,282.82 करोड़ रुपये का एकल घाटा हुआ है। जबकि उसकी कुल आय इस दौरान मामूली बढ़कर 56,876.63 करोड़ रुपये हो गई जो पूर्व वित्त वर्ष में 56,227.36 करोड़ रुपये रही थी। ।एकीकृत आधार पर बैंक को 2017-18 में कुल 12,130.05 करोड़ रूपये का घाटा हुआ जबकि 2016-17 में बैंक को 1,187.24 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। बैंक के दो कार्यकारी निदेशकों के वी ब्रह्माजी राव तथा संजीव शरण ने आज की बैठक में भाग नहीं लिया। बैंक के निदेशक मंडल ने इन दोनों के सभी वित्तीय व कार्यकारी अधिकार कल छीन लिए थे क्योंकि इनका नाम सीबीआई द्वारा दाखिल आरोप पत्र में शामिल है। बैंक के 2016- 17 के मुनाफे को पहले घोषित 1,324.80 करोड़ रुपये से घटाकर समायोजित करते हुये 532.60 करोड़ रुपये कर दिया गया है। रिजर्व बैंक ने 2016- 17 के दौरान बैंक के सकल एनपीए में 2,207 करोड़ रुपये की भिन्नता पाई, इसे देखते हुये उसके पिछले साल के मुनाफे को समायोजित किया गया है।

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