कोरोना/करोना/करो ना (कविता)

By प्रवीण त्रिपाठी | Mar 18, 2020

कवि ने इस समय फैली महामारी कोरोना वायरस को इस कविता के माध्यम यह बताना की कोशिश की हमें क्या-क्या करना चाहिए, और कैसे इस बीमारी से बचना चाहिए। कवि ने इस कविता के द्वारा लोगों के बताया कि कैसे हम स्वच्छ रहें। कवि प्रवीण त्रिपाठी ने इस कविता के माध्यम से यह बताया कि इस बीमारी से डरने की जरूरत नहीं पर स्वच्छता और सफाई रखना जरूरी है।


रखो स्वछता अब किसी से डरो ना।

बिना काम के आप घूमो फ़िरो ना।1


सुरक्षा सदा प्राथमिक कार्य हो अब।

प्रसारित नहीं हो सकेगा करोना।2


छिपाओ नहीं व्याधि का शक कभी हो।

स्वतः ध्यान खुद का अकेले धरो ना।3


प्रसारित उपायों का' पालन करो नित।

नहीं भ्रांति कोई हृदय में भरो ना।4


सही सूचना दो सभी को डरे बिन।

विपद विश्व की आज मिल कर हरो ना।5


महामारियाँ प्राण लेतीं अचानक।

बिना जानकारी कभी मत मरो ना।6


भलाई इसी में चिकित्सा करो तुम।

अगर छू गया हो कहीं से कोरोना।7


- प्रवीण त्रिपाठी

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