उत्सव के रंग (कविता)

By वीना आडवानी | Mar 27, 2021

भारत संस्कृति में त्योहारों एवं उत्सवों का आदि काल से ही काफी महत्व रहा है। होली भी एक ऐसा ही त्योहार है, जिसका धार्मिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से विशेष महत्व है। कवियत्री इस कविता में होली के त्योहार का बहुत अच्छा वर्णन किया है।


होली का ये पावन पर्व सच्ची 

भक्ति की राह सबको दिखाया।।


निश्चल,,निश्फल जीवन में ये रंगों

संग उमंग तरंग भी सजाया।।‌


प्रेम,,सदभावना संग लगा गुलाल

दिल आज मंद-मंद फिर मुस्काया।।


देखो फाल्गुन माह का ये पर्व 

सबके जीवन में खुशियां लाया।।


नटखट बालकों अल्हड़ मस्ती संग 

पिचकारी से खूब था सबको भिगाया।।


लगा गुलाल तो कभी,गुब्बारों संग

 बस मस्ती की खूब छटा बिखराया।।


भाग रहा हर कोई रंगों से पर रंग 

ना छूटे तन से ऐसा रंग लगाया।।


होली का ये पावन पर्व भक्ति,सत्य 

की जीत का पताका हर और लहराया।।


मिटे द्वेष , कलेश, दरिद्रता, सोच 

होलीका दहन सच करवाया।।


भरे जीवन को रंगों से खुशियां हर पल

शुभकामनाओं का पैगाम भिजवाया।।


देखो आज फिर फागुन माह होली

उत्सव संग सबके फिर चेहरे खिलाया।।


- वीना आडवानी

नागपुर, महाराष्ट्र

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