जिंदगी का मकसद (कविता)

By दीपक कुमार त्यागी | Apr 12, 2022

जिंदगी में तमाम कष्ट और चुनौतियां आती जाती रहती हैं। रिश्ते बनते बिगड़ते रहते हैं लेकिन तमाम उतार-चढ़ाव के बीच जो रिश्तो को संभाल के चलता है वही जीवन का असली आनंद ले पाता है। वह यारों का यार कहलाता है। जीवन में रिश्तो के अलग ही मायने होते हैं, अलग ही महत्व होता है और इसे संभालकर व दूसरों की मदद कर कर ही हमें आगे बढ़ना चाहिए।


जीवन पथ की राह है दुष्कर बहुत,

साथ हैं लोगों का हर वक्त मेला बहुत।


लेकिन जरूरत के वक्त काम कौन आए,

यह तो वक्त ही हम सभी लोगों को समझाए।


दोस्त पर जिंदगी ऐसी जियो जो लोगों के काम आए,

समय पर इंसान व इंसानियत का हर पल ध्यान आए।


अपने लिए तो जीवन जीते हैं धरा पर सब लोग,

एक बार बनकर देखो तो धरा का वह इंसान।


जो बिना किसी लोभ-लालच व उम्मीद के ही,

वक्त पर दूसरों लोगों के काम तो आए।


हालांकि राह बहुत कठिन है इस पथ की,

लेकिन इस पथ पर चलने वाला ही महामानव कहलाए।


भूलकर वह अपना अच्छा-बुरा व दु:ख-दर्द,

रोते हुए लोगों की झोली खुशियों से पल में भर जाए।


पल में बनकर एक फरिश्ता वह महामानव,

लोगों के जीवन को मझधार से निकाल ले जाए।

 

बिना किसी उम्मीद के ही वह मदद कर जाए,

अपने बुलंद हौसलों के बूते जीवन पथ पर खुशी से बढ़ता जाए।


हंसते-हंसते ही जीवन पथ की दुष्वारियों को,

सहन करने की प्रेरणा आम जनमानस को दे जाए।।


- दीपक कुमार त्यागी

वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार, रचनाकार व राजनीतिक विश्लेषक

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