अब तो जागो (कविता)

By वीना आडवाणी "तन्वी" | May 04, 2021

कवियत्री ने इस कविता के माध्यम से यह बताया है कि चुनाव का खेल अब खत्म हो चुका है। अब मानवता की पुकार सुनों। कवियत्री ने इस कविता में बताया है कि जो लोग तड़प रहे हैं उन्हें बचाने की कोशिश करो।


किसी को मिले नहीं भोजन

जिसे मिले उसके नखरे अपार

कराह उठी देख तस्वीर मैं

कोई सुद्धबुद्ध लो अब सरकार


खेलवा खत्म हुआ चुनाव का

अब तो मानवता की सुनो पुकार

चीख रही दिलों मे वेदना सबकी

जैसे ना हो तुम्हें किसी से सरोकार।


छोड़ो कुर्सी का लालच अब तो

इंसान सुना रहा दर्द है अपार

अपने तड़प रहे अपनों को बचाने 

सियासत खत्म करो अब देखो जख्म अपार।।


बिलख रहे बहुत घरों मे भूखे बच्चे

मां बाप की लाशों से लिपट रो रहे बच्चे

आंखें खोलो देखो मौत का तांडव बिखरा

सरकार अब भी कुर्सी की चाहत मे तू बिखरा।।



- वीना आडवाणी "तन्वी"

नागपुर, महाराष्ट्र

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