Premchand Birth Anniversary: प्रेमचंद ने साहित्य के गागर को अपनी रचनाओं के सागर से किया था तृप्त

By अनन्या मिश्रा | Jul 31, 2025

आज ही के दिन यानी की 31 जुलाई को मुंशी प्रेमचंद का जन्म हुआ था। उनको 'उपन्यास सम्राट' और 'कलम का जादूगर' कहा जाता है। मुंशी प्रेमचंद ने हिंदी साहित्य को यथार्थवादी रंगों से जीवंत किया। उनका जीवन काफी संघर्षों से भरा हुआ था। बता दें कि हिंदी साहित्य में मुंशी प्रेमचंद का कद काफी ऊंचा माना जाता है। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर मुंशी प्रेमचंद के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और परिवार

वाराणसी के लमही गांव में 31 जुलाई 1880 को प्रेमचंद का जन्म हुआ था। इनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। जब प्रेमचंद 7 साल के थे, तो उनके सिर से मां का साया उठ गया था। वहीं उनके पिता ने दूसरी महिला से शादी कर ली। लेकिन फिर 15 साल की उम्र में प्रेमचंद अपने पिता को भी खो बैठे। इसके बाद उनकी सौतेली मां ने उनकी शादी एक ऐसी लड़की से कराई, जिसको प्रेमचंद पसंद नहीं करते थे।

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दूसरी शादी

प्रेमचंद ने खुद लिखा था कि यह शादी उनके पिता की गलती थी, जिसने उनको डुबो दिया। प्रेमचंद का कहना था कि उनकी पहली पत्नी बदसूरत और झगड़ालू थी और वह इस महिला से तंग आ चुके थे। प्रेमचंद का पहला विवाह जल्दी टूट गया, जिसके बाद साल 1906 में प्रेमचंद ने बाल विधवा शिवरानी देवी से दूसरी शादी की। यह प्रेमचंद के जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित हुई। यह विवाह प्रेमचंद के अनुरूप था। इससे उनके जीवन में स्थिरता आई और सुखद वैवाहिक जीवन से प्रेमचंद की रचनात्मकता को उड़ान दी।


वहीं प्रेमचंद स्कूल में डिप्टी इंस्पेक्टर बने। इस दौरान उन्होंने साल 1908 में 'सोजे वतन' कहानी संग्रह प्रकाशित किया। जिसको अंग्रेजों ने प्रतिबंधित कर दिया। फिर साल 1918 में 'सेवासदन' ने उनको हिंदी साहित्य स्थापित किया। वहीं साल 1918-1936 का कालखंड 'प्रेमचंद युग' कहलाया।


प्रेमचंद की रचनाएं

बता दें कि प्रेमचंद की रचनाएं 'पंच परमेश्वर', 'गोदान', 'कफन', 'पूस की रात' आदि सामाजिक कुरीतियों और मानवीय संवेदना को उजागर करने का काम करती हैं। प्रेमचंद के दूसरे विवाह ने उनको भावनात्मक स्थिरता देने के साथ उनके निजी रिश्ते को भी संवारा और इससे प्रेमचंद की लेखनी भी समृद्ध हुई।


300 से ज्‍यादा कहानियां लिखी

प्रेमचंद ने हिंदी और उर्दू में 18 से ज्यादा उपन्यास और 300 से अधिक कहानियां लिखी थीं। जोकि आज भी प्रासंगिक हैं। प्रेमचंद की कृतियां हिंदी साहित्य में अमर हैं और उनकी लेखनी आज भी लेखकों को प्रेरित करने का काम करती हैं।


मृत्यु

वहीं 08 अक्तूबर 1936 को पेचिश रोग के कारण प्रेमचंद का निधन हो गया था।

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