पर्यावरण प्रदूषण की चुनौतियों से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा दें : एनएचआरसी

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 05, 2023

नयी दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा ने सोमवार को कहा कि पर्यावरण प्रदूषण की चुनौतियों से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। विश्व पर्यावरण दिवस पर सोमवार को एनएचआरसी की ओर से जारी एक लिखित संदेश में न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि पर्यावरणीय सुरक्षा का मानवाधिकारों से ‘अहम संबंध’ है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के नेतृत्व में 1973 से प्रतिवर्ष पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस आयोजित किया जाता है। यूएनईपी पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने का सबसे बड़ा वैश्विक मंच है।

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न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, ‘‘यह दिन हमें याद दिलाता है कि सतत विकास, पर्यावरण की रक्षा की परिकल्पना करता है, जो मानव अस्तित्व के लिए अहम है। पर्यावरण सुरक्षा के प्रति अधिकारों पर आधारित रवैया अपनाने से यह सुनिश्चित होता है कि हर कोई स्वच्छ एवं सुरक्षित माहौल में रह सके, चाहे उसकी पृष्ठभूमि या परिस्थितियां कुछ भी हो।’’ एनएचआरसी प्रमुख ने कहा कि प्लास्टिक पृथ्वी तथा समुद्र दोनों में पर्यावरण के लिए ‘गंभीर खतरे’ के रूप में उभरा है।

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उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक समुदाय के रूप में, हमें पर्यावरणीय प्रदूषण की चुनौतियों से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण को बढ़ावा देना चाहिए। अत: इस साल विश्व पर्यावरण दिवस की थीम - ‘प्लास्टिक प्रदूषण को हराओ’- हमारे ग्रह पर प्लास्टिक के हानिकारक असर से निपटने की आवश्यकता और एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक सामग्री के स्थान पर पर्यावरण-अनुकूल सामग्री के इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर जोर देता है, जो मानव जीवन तथा अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है।’’ उन्होंने कहा कि इस संबंध में प्लास्टिक तथा ऐसे अन्य प्रदूषकों के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए ‘कठोर नीतिगत फैसलों’ की आवश्यकता है, जो हमारे पर्यावरण तथा जलवायु को खतरे में डालते हैं। एनएचआरसी प्रमुख ने कहा कि यह सभी जानते हैं कि प्लास्टिक का उत्पादन, खपत और निस्तारण मानवाधिकारों पर असर डालता है, यथा- स्वास्थ्य, स्वच्छ पेयजल, खाद्य सुरक्षा और सुरक्षित एवं स्वस्थ पर्यावरण का अधिकार।

उन्होंने कहा कि प्लास्टिक उत्पादन केंद्रों या ठोस निस्तारण स्थलों के समीप रह रहे समुदाय अक्सर स्वास्थ्य के प्रतिकूल असर का सामना करते हैं। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक भूमि की उर्वरता को भी कम करता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम लोगों को प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करने और उसके विकल्पों को बढ़ावा देने के ज्ञान एवं कौशल से लैस कर सकते हैं। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, ‘‘हम एक साथ मिलकर मौजूदा और भावी पीढ़ियों के लिए सतत प्रक्रियाओं का प्रयास कर सकते हैं, अधिक ठोस पर्यावरणीय सुरक्षा की पैरवी कर सकते हैं और संसाधनों तक समान पहुंच को बढ़ावा दे सकते हैं।

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