Quit India Movement Day 2025: भारत छोड़ो आंदोलन ने हिला दी थी ब्रिटिश सरकार की नींव, जानिए इतिहास

By अनन्या मिश्रा | Aug 08, 2025

आज यानी की 08 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ मनाई जा रही है। आज से करीब 83 साल पहले महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने मुंबई में 'भारत छोड़ो आंदोलन' का प्रस्ताव पारित किया था। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को इस आंदोलन ने ही नई दिशा दी थी और इसके 5 साल बाद भारत को अंग्रेजो की गुलामी से आजादी मिल गई थी। भारत को आजादी हासिल करने में इस आंदोलन ने निर्णायक भूमिका अदा की थी। इसलिए 08 अगस्त के दिन को 'अगस्त क्रांति' के रूप में मनाया जाता है।


आंदोलन की नींव

ब्रिटेन की सहमति के बिना भारत को सेकेंड वर्ल्ड वॉर में शामिल कर लिया गया था। जिस वजह से भारतीयों में असंतोष बढ़ा था। साल 1942 में शुरू हुए क्रिप्स मिशन की विफलता ने स्वतंत्रता सेनानियों को भारत छोड़ो आंदोलन के लिए प्रेरित किया था। क्योंकि भारत को पूर्ण स्वतंत्रता देने से ब्रिटिश सरकार ने साफ इनकार कर दिया था।


इसलिए 08 अगस्त 1942 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने स्वतंत्रता सेनानियों को बंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में इकट्ठा किया। इस दौरान भारत छोड़ो आंदोलन शुरू करने का प्रस्ताव पारित किया। आंदोलन करते हुए महात्मा गांधी ने 'करो या मरो' का नारा दिया था। टैंक मैदान को आज अगस्त क्रांति मैदान कहा जाता है।


ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रिया

भारत को स्वतंत्र कराएंगे या स्वतंत्रता के लिए प्रयास करते हुए मर जाएंगे, यह नारा देते हुए स्वतंत्रता सेनानियों ने ब्रिटिश सरकार से तत्काल भारत छोड़कर जाने और पूर्ण स्वतंत्रता की मांग हुई। लेकिन ब्रिटिश पुलिस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 09 अगस्त 1942 को जवाहर लाल नेहरू, महात्मा गांधी समेत कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था। साथ ही ऑल इंडिया कांग्रेस को अवैध घोषित कर दिया गया था। इस आंदोलन में करीब 1 लाख लोगों ने गिरफ्तारियां दी थी।


इन नेताओं ने निभाई थी अहम भूमिका

भारत छोड़ो आंदोलन में लाखों लोगों की जन भागीदारी हुई थी। यह आंदोलन जनता का आंदोलन बन गया। इसमें किसान, मजदूर, छात्र, महिलाएं और नौजवान शामिल हुए थे। इस आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, जयप्रकाश नारायण, अरुणा आसफ अली, सरदार पटेल, मौलाना आजाद और ऊषा मेहता जैसे नेताओं ने की थी। वहीं इन नेताओं ने आंदोलन के दौरान गिरफ्तारियां भी दी थीं। वहीं ऊषा मेहता ने कांग्रेस रेडियो चलाकर इस आंदोलन को प्रचारित किया है। हालांकि यह आंदोलन अहिंसक था, लेकिन रेलवे स्टेशनों और डाकघरों पर हमले किए गए थे। वहीं ब्रिटिश सरकार ने इस आंदोलन को दबाने की भरपूर कोशिश की थी।


आंदोलन का प्रभाव पड़ा

बता दें कि भारत छोड़ो आंदोलन ने अंतरराष्ट्रीय समुदायों का ध्यान खींचा। विश्व युद्ध में भी ब्रिटेन कमजोर पड़ने लगा था। इस आंदोलन ने भारतीयों में आजादी की ललक जगाई थी। लेकिन ब्रिटिश सरकार ने आंदोलन को तत्काल दबा दिया था। लेकिन इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार की जड़ें हिला दी थीं। इसी आंदोलन ने साल 1947 में आजादी का रास्ता खोल दिया था। इस आंदोलन ने ही स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई थी।

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