अपनी ही बात काट रहे हैं ओलांद, राफेल डील रद्द करने का सवाल नहीं: जेटली

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 23, 2018

नयी दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राफेल लड़ाकू विमान सौदा रद्द करने से इनकार करते हुए कहा है कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद इस सौदे पर विरोधाभासी बयान दे रहे हैं। जेटली ने रविवार को फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि न भारत और न ही फ्रांस सरकार की दसॉल्ट द्वारा रिलायंस को भागीदार चुनने में कोई भूमिका रही है। राफेल सौदे पर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद के बयान के बाद भारत में भारी राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। ओलांद ने कहा था कि राफेल लड़ाकू जेट निर्माता कंपनी दसॉल्ट ने आफसेट भागीदार के रूप में अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस को इसलिये चुना क्योंकि भारत सरकार ऐसा चाहती थी। विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उंगली उठाई है और साथ ही रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के इस्तीफे की मांग की है।

 

जेटली ने एक टेलीविजन साक्षात्कार में कहा है कि ओलांद और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बयान में कुछ जुगलबंदी लगती है। जेटली ने कहा, ‘‘मुझे हैरानी है कि 30 अगस्त को राहुल गांधी ने ट्वीट किया था कि राफेल सौदे पर फ्रांस में धमाका होने वाला है। उन्हें इस बारे में कैसे पता चला?’’ जेटली ने कहा, ‘‘हालांकि मेरे पास इसका कोई प्रमाण नहीं है। लेकिन संदेह पैदा होता है। निश्चित रूप से कुछ है। एक बयान (ओलांद से) आता है, उसके बाद में उसका खंडन आता है। लेकिन उन्होंने (गांधी) 20 दिन पहले ही यह कह दिया था।’’ जेटली ने कहा कि राफेल लड़ाकू विमान सौदा रद्द करने का सवाल नहीं उठता। यह सौदा देश की रक्षा जरूरत को पूरा करने के लिए किया गया है।

 

जेटली ने कहा, ‘‘कोई प्रश्न नहीं उठता। यह फौज की आवश्यकता है। ये देश में आना चाहिए और ये आएगा। रक्षा बलों को इसकी जरूरत है।’’ इससे पहले फेसबुक पोस्ट में जेटली ने लिखा कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति का पहला बयान राहुल गांधी ने जो अनुमान जताया था उससे मेल खाता है। उन्होंने कांग्रेस नेता पर आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सार्वजनिक संवाद करना कोई ‘लाफ्टर चैलेंज’ नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘आप जाकर किसी के गले मिलते हैं। उसके बाद आप आंख मारते हैं। 4-6-10 बार झूठ बोलते हैं। आपकी भाषा में बुद्धिमत्ता दिखनी चाहिए। आपत्तिजनक भाषा दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में ठीक नहीं है।’’ जेटली ने कहा कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद के बयान के आधार पर एक विवाद खड़ा किया जाता है। ओलांद ने कहा कि दसाल्ट एविएशन के साथ रिलायंस डिफेंस की भागीदारी भारत सरकार के सुझाव के तहत की गई। 

 

वित्त मंत्री ने कहा ‘‘उन्होंने (ओलांद) ने बाद में अपने वक्तव्य में कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है कि भारत सरकार ने रिलायंस डिफेंस के लिये कोई सुझाव दिया। भागीदारों का चुनाव खुद कंपनियों ने किया। सच्चाई दो तरह की नहीं हो सकती है।’’ हालांकि, बाद में फ्रांस सरकार और दसॉल्ट एविएशन ने पूर्व राष्ट्रपति के पहले दिये बयान को गलत ठहराया है। जेटली ने कहा, ‘‘फ्रांस सरकार ने कहा है कि दसॉल्ट एविएशन के आफसेट करार पर फैसला कंपनी ने किया है और इसमें सरकार की भूमिका नहीं है।’’ जेटली ने कहा कि दसॉल्ट खुद कह रही है कि उसने आफसेट करार के संदर्भ में कई सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ अनेक करार किये हैं और यह उसका खुद का फैसला है। वर्ष 2016 में भारत ने फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमान के लिये 58,000 करोड़ रुपये खरीदने का समझौता किया था। उस समय ओलांद फ्रांस के राष्ट्रपति थे।

 

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