नई दिल्ली। महाभारत के बारे में कहा जाता है कि ये कहानी है हर दौर की। कमोबेश वही कहानी इस दौर में भी सत्ता के लिए दौहराई जा रही है। नैतिकता के मूल्य जानबूझकर तोड़े जा रहे हैं। भाषा की मर्यादा टूटती जा रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हिमाचल प्रदेश की भूमि पर भाजपा पर प्रहार करते-करते तो जैसे लोकतंत्र के शिखर पर नैतिकता और भाषाई मर्यादा का ही लोप कर दिया। राहुल ने ऊना की जनसभा में कहा कि मैं अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं का सम्मान करता हूं। मैं मोदी जैसा नहीं हूं जो अपने कोच यानी लाल कृष्ण आडवाणी को चांटे मारकर और अपनी टीम को छोड़कर आगे निकल जाऊं।
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कांग्रेस अध्यक्ष ने रैली में निशाना साधते हुए कहा कि पीएम मोदी ने अपने कोच लाल कृष्ण आडवाणी को दो चांटे मारे और कहा कि अब तुम्हारी कोई जरूरत नहीं। राहुल ने कहा कि मोदी ने अपनी टीम में भी सबका अपमान किया है। टीम में सुषमा स्वराज, नितिन गडकरी तक की नहीं सुनी। आधी रात को नोटबंदी लागू कर दी न जनता से और न ही आरबीआई से पूछा। राहुल ने कहा कि मैं यहां वीरभद्र जी को लेकर आया, क्योंकि वो गुरु की तरह हैं, हिमाचल प्रदेश में कई बार वे मुख्यमंत्री रह चुके हैं। मैं उनका आदर करता हूं।
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राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री का काम चौकीदारी करना नहीं बल्कि देश के लोगों की भलाई करना है। अगर मोदी चौकीदारी कर रहे थे तो फिर राफेल का 30 हजार का घोटाला कैसे हुआ। ललित मोदी ने राजस्थान की सीएम के बेटे के खाते में पैसा डाला, मेहुल चौकसी ने अरूण जेटली के बेटे के खाते में पैसा डाला और पीएम मोदी ने अनिल अंबानी के खाते में 45 हजार करोड़ डाले।