नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद अब कांग्रेस ने अपना पूरा ध्यान उत्तर प्रदेश की तरफ केंद्रित कर दिया है लेकिन पार्टी के लिए अभी भी अध्यक्ष पद एक चिंता का विषय बना हुआ है। क्योंकि एक तरफ मुख्य प्रवक्ता यह बताते हैं कि राहुल हमारे अध्यक्ष थे, हैं और रहेंगे तो दूसरी तरफ मणिशंकर अय्यर जैसे नेता यह दर्शाते हैं कि पार्टी अध्यक्ष पद के लिए नेता की तलाश में लगी हुई है हालांकि गांधी परिवार की देखरेख में ही काम होगा। इन तमाम खबरों के बीच अब नई खबर सामने आ रही है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर दांव खेल सकती है।
मीडिया में चल रही ये रिपोर्ट्स अगर सही साबित होती हैं तो पिछले दो दशकों से कांग्रेस पार्टी को संभाल रहे गांधी परिवार से अध्यक्ष पद फिलहाल दूर हो जाएगा और नए अध्यक्ष के सामने पार्टी को नए सिरे से खड़े करने का दबाव भी होगा। हालांकि गहलोत से पहले पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटोनी और केसी वेणुगोपाल के नाम सामने आए थे। लेकिन एंटोनी ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। जिसके बाद से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने अध्यक्ष पद के लिए उत्तम व्यक्ति की तलाश करते हुए अपनी निगाहें उत्तर भारत की तरफ कर लीं।
राहुल गांधी द्वारा अध्यक्ष पद को छोड़ने के हठ से इस बात को जोर मिल रहा है कि अब पार्टी की मुख्य कमान गांधी परिवार के भरोसे नहीं रहेगी। ऐसे में पार्टी को नए सिरे से खड़ा करने की कवायद में भी वरिष्ठ नेता लगे हुए हैं। अशोक गहलोत की तरफ पार्टी ने रुख इसलिए भी किया है क्योंकि गहलोत के पिता जादूगर थे और वर्षों पहले अशोक गहलोत राहुल गांधी को जादू दिखाया करते थे। जिसके बाद उन्हें जादू चाचा भी कहा गया और अगर जादू चाचा अध्यक्ष बनते हैं तो वह अपने अनुभवों से पार्टी में नई जान फूंक सकते हैं। ऐसी उम्मीदें भी जताई जा रही है कि वह पार्टी को वर्तमान में चल रहे संकटों से उबार सकते हैं और उसके अच्छे दिन ला सकते हैं। गौरतलब है कि गहलोत 2018 में मुख्यमंत्री बनने से पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) का कार्यभार देख रहे थे जो कि पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष के बाद सबसे महत्वपूर्ण पद माना जाता है।
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क्या गहलोत इस पद के लिए मानेंगे
लोकसभा चुनाव से पहले तीन हिंदी राज्यों में चुनाव हुए, जहां पर कांग्रेस ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए सरकार बनाई। इसी में शामिल राजस्थान की कमान सचिन पायलट की खींचतान के बाद अशोक गहलोत को सौंपी गई और पायलट को उपमुख्यमंत्री का पद दिया गया। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि गहलोत इसलिए अध्यक्ष पद को स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि हालिया चुनाव में पार्टी को बेहद नुकसान सहना पड़ा है और देश में भाजपा की लहर साफतौर पर देखी जा सकती है। अगर गहलोत अध्यक्ष बनते हैं तो हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर और झारखंड जहां चुनाव होने हैं वहां कड़ी मेहनत करनी होगी। फिलहाल इन स्थानों पर कांग्रेस की सरकार बनने की उम्मीद बेहद कम है क्योंकि इन राज्यों में हालिया आम चुनाव में भाजपा ने कमाल का प्रदर्शन किया है।
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अगर गहलोत दिल्ली आ जाते हैं तो सचिन पायलट को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है और अगर गहलोत अध्यक्ष पद पर फेल होते हैं तो वह राजस्थान में वापसी नहीं कर सकेंगे। ऐसे में उनके हाथ से केंद्र और राजस्थान दोनों की ही राजनीति निकल जाएगी।