Ramanand Sagar Death Anniversary: ट्रक क्लीनर और चपरासी की नौकरी करते थे रामानंद सागर, फिर बना डाला सबसे बड़ा मायथोलॉजिकल शो

By अनन्या मिश्रा | Dec 12, 2025

मायथोलॉजिकल शो में रामानंद सागर के 'रामायण' सीरियल को काफी पसंद किया गया था। आज भी लोग इस सीरियल को देखना पसंद करते हैं। वहीं रामानंद सागर डायरेक्टर होने के साथ स्क्रिप्ट राइटर, उम्दा लेखक, डायलॉग राइटर और प्रोड्यूसर भी थे। आज ही के दिन यानी की 12 दिसंबर को रामानंद सागर का निधन हो गया था। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर रामानंद सागर के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और परिवार

पाकिस्तान के लाहौर में 29 दिसंबर 1917 को रामानंद सागर का जन्म हुआ था। रामानंद सागर का असली नाम चंद्रमौली चोपड़ा था। देश के बंटवारे के बाद रामानंद का परिवार भारत आ गया और उस समय उनके परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी। परिवार की आर्थिक मदद के लिए रामानंद ने कम उम्र से काम करना शुरूकर दिया था। बताया जाता है कि वह ट्रक क्लीनर और चपरासी की नौकरी करते थे।

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मुंबई में चमकी किस्मत

मुंबई आकर रामानंद सागर ने बतौर राइटर अपने करियर की शुरूआत की। वह कहानी और स्क्रीन प्ले लिखा करते थे। जल्द ही वह कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ने लगे। साल 1950 में रामानंद सागर ने 'सागर आर्ट कॉरपोरेशन प्रोडक्शन' कंपनी की शुरूआत की। वहीं 25 जनवरी 1987 को इस प्रोडक्शन कंपनी के बैनर तले 'रामायण' शो शुरू हुआ। यह सीरियल साल 1988 तक चला। इस शो को दूरदर्शन पर 45 मिनट्स तक टेलीकास्ट किया जाता था। वहीं बाकी सीरियल्स को 30 मिनट का स्लॉट मिला था।


माना जाता है कि रामानंद सागर की रामायण जब टेलीकास्ट होती थी, तो सड़कों पर कर्फ्यू जैसा माहौल हो जाता था। राम और सीता के रोल में अरुण गोविल और दीपिका चिखलिया को आज भी उसी रूप में याद किया जाता है। माइथोलॉजिकल सीरियल के तौर पर रामानंद सागर की रामायण का नाम सबसे ज्यादा देखे जाने वाले लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल है।


फिल्ममेकर बनकर कमाया नाम

रामानंद सागर ने अभिनेता राजकपूर की हिट फिल्म 'बरसात' की कहानी लिखी थी। उन्होंने कई फिल्मों का डायरेक्शन किया था। रामानंद सागर की निर्देशित फिल्म में धर्मेंद्र और माला सिन्हा स्टारर 'आंखें' है। यह एक ब्लॉकबस्टर फिल्म है। इसके लिए रामानंद सागर को बेस्ट डायरेक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला था।


मृत्यु

वहीं 12 दिसंबर 2005 को रामानंद सागर ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था।

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