By रितिका कमठान | Jun 06, 2025
विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में क्रिप्टो के बढ़ते चलन पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अधिकारियों ने भी चिंता व्यक्त की है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रथम उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने क्रिप्टो को लेकर चिंता व्यक्त की है। क्रिप्टो का उपयोग अभी शुरुआती दौर में चल रहा है।
उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने कहा कि इससे मुद्रा प्रतिस्थापन के मामले में यह जोखिम पैदा होता है। फाइनेंशियल टाइम्स के साथ एक साक्षात्कार में गीता गोपीनाथ ने बताया कि हम कुछ उभरते बाजारों में क्रिप्टो के उपयोग में काफी तेजी देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि उभरते बाजारों को क्रिप्टो का चलन बढ रहा है। खासतौर से इससे स्टेबलकॉइन्स से होने वाले जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है। इससे उनके वित्तीय संस्थानों में “मध्यस्थता खत्म हो सकती है।” गोपीनाथ ने कहा, “मुद्रा प्रतिस्थापन के जोखिम बढ़ते जा रहे है।”
गोपीनाथ की टिप्पणी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा रणनीतिक क्रिप्टो रिजर्व के लिए जोर देने बाद आई है। दरअसल डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका को "दुनिया की क्रिप्टो राजधानी" बनाने के लिए स्टेबलकॉइन जारी करने का समर्थन कर रहे है। वहीं भारतीय उपमहाद्वीप में पाकिस्तान ने हाल ही में ट्रम्प परिवार द्वारा समर्थित अमेरिका स्थित वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल इंक के साथ एक समझौता किया है। इससे पाकिस्तान देश को क्रिप्टो हब के तौर पर उभार सकेगा। साथ ही ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के उपयोग और भुगतान और प्रेषण के लिए स्थिर सिक्कों के उपयोग को बढ़ावा दे सके।
क्रिप्टो क्षेत्र में गतिविधियों की बाढ़ के बीच विशेषज्ञ गोपीनाथ की चेतावनी से सहमत हैं कि क्रिप्टोकरेंसी विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं और वित्तीय संस्थानों के लिए जोखिम पैदा कर सकती है। स्टेबलकॉइन ऐसी क्रिप्टोकरेंसी होती हैं जिनका मूल्य किसी परिसंपत्ति जैसे मुद्रा या वस्तु जैसे सोने से जुड़ा होता है। डोनाल्ड ट्रम्प के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद से बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी में उछाल आया है, क्योंकि उन्होंने डिजिटल सिक्कों पर अपने पहले के संदेहपूर्ण रुख को बदल दिया है। उन्होंने डेविड सैक्स को व्हाइट हाउस क्रिप्टो के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया, जबकि क्रिप्टो समर्थक पॉल एस एटकिंस को सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन का अध्यक्ष भी नियुक्त किया।