सबके गढ़ ध्वस्त, उत्तर प्रदेश में योगी के आगे सारे विपक्षी नेता पस्त

By संजय सक्सेना | Jun 29, 2022

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक-एक कर कई राजनैतिक रिकॉर्ड अपने नाम करते जा रहे हैं। हाल यह है कि योगी यूपी ही नहीं, कई राज्यों तक में जीत का हिट फार्मूला साबित होने लगे हैं। राज्य में लगातार दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले योगी प्रदेश के पहले ऐसे नेता बन गए हैं जो लगातार दो बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने में सफल रहे हैं। योगी का यूपी में जबर्दस्त जलवा कायम है, जिसके बल पर उन्होंने आजमगढ़ और रामपुर की दो लोकसभा सीटें जीत कर दिल्ली की झोली में डाल दीं। यह वह सीटें थीं जिन पर 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी तक का जादू नहीं चल पाया था, जबकि आम चुनाव में सपा के इस अभेद्य दुर्ग को ध्वस्त करने के लिए बीजेपी ने इन पूरी ताकत झोंक दी थी। लेकिन सपा के यह गढ़ मोदी ध्वस्त नहीं कर पाए थे। इसके उलट 2019 के लोकसभा चुनावों में पूरे यूपी में बीजेपी का प्रदर्शन शानदार रहा था। मोदी का जादू चला था।


उप-चुनाव में दो सीटों पर हार के साथ ही समाजवादी पार्टी यूपी में अब तीन सीटों पर सिमट गई है, जिसमें मैनपुरी लोकसभा सीट से मुलायम सिंह यादव, संभल से शफीकुर्रहमान बर्क और मुरादाबाद से एस.टी. हसन ही अब सांसद रह गए हैं। काफी लम्बे समय के बाद ऐसा हो रहा है जब मुलायम के अलावा उनके कुनबे का कोई और सदस्य लोकसभा में नहीं दिखाई देगा। लोकसभा में समाजवादी पार्टी तीन सीटों पर सिमट गई है तो बसपा के दस सांसद क्रमशः अंबेडकर नगर, अमरोहा, गाजीपुर, घोसी, जौनपुर, लालगंज, नगीना, सहारनपुर, बिजनौर और श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र से मौजूद हैं। वहीं कांग्रेस के पास रायबरेली की एक मात्र लोकसभा सीट बची है। वहीं भारतीय जनता पार्टी गठबंधन का आंकड़ा उप-चुनाव के नतीजे आने के बाद 76 पर पहुंच गया है।

  

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बहरहाल, उप-चुनाव में सपा के गढ़ में बीजेपी को मिली इस जीत ने योगी की सियासी ताकत काफी बढ़ा दी है। इसके साथ ही इन नतीजों को उनकी सरकार की नीतियों और फैसलों पर मुहर के तौर पर भी देखा जा रहा है। दोनों ही सीटों पर योगी ने आक्रामक प्रचार किया था। राजनैतिक पंडितों को लग रहा था कि आजम खान पर लगे 90 मुकदमे रामपुर में भाजपा की जीत की राह में दीवार की तरह खड़े हो सकते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सियासी तरकश से निकले तीरों ने उस दीवार को ढहा दिया। आजमगढ़ में भी योगी की चुनावी रणनीति काम कर गई। योगी ने दोनों ही जगह प्रचार करके अखिलेश की सोच की जबर्दस्त ‘घेराबंदी’ की थी। 

    

2022 के विधानसभा चुनाव के बाद यह दूसरा मौका है जब जनता ने योगी सरकार पर विश्वास जताया है। विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘आएंगे तो योगी ही’ का नारा लगाया था, तो पार्टी के भीतर और बाहर भी लोग चौंके थे। लेकिन, नतीजों से टूटे 37 साल के इतिहास ने नारों के निहितार्थ बता दिए थे। तीन महीने बाद ही हुए उप-चुनाव के नतीजों ने इस निहितार्थ का और विस्तार किया है। योगी के नेतृत्व में मिली जीत की बड़ी वजह यह रही कि योगी ने कभी भी किसी दबाव में आकर अपनी सरकार के कामकाज की शैली नहीं बदली थी, जबकि उनके ऊपर लगातार आरोप लगते रहे कि योगी मुसलमानों को डरा रहे हैं। आरोप लगे कि मुसलमानों के घरों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है।

 

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दरअसल, विपक्ष ने भी योगी सरकार बनने के बाद माफियाओं से लेकर दंगे के आरोपियों तक की संपत्तियों पर चले बुलडोजर को चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाया था, लेकिन यह मुद्दा विपक्ष को फायदा तो नहीं दिला पाया, उसके उलट योगी इसका फायदा उठा ले गए। बुलडोजर को दूसरे भाजपा शासित राज्य भी अपना रहे हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि इसी साल होने वाले दूसरे राज्यों के विधानसभा चुनाव में स्टार प्रचारक के तौर पर योगी के ‘बुलडोजर बाबा’ की यह इमेज अहम साबित होगी।


योगी के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर जिले से सटे आजमगढ़ लोकसभा की जीत योगी के लिए सियासी उपलब्धि से इतर व्यक्तिगत तौर पर खास है क्योंकि 2008 में मऊ की एक सभा में जाते हुए आजमगढ़ में ही योगी के काफिले पर हमला हुआ था। उस समय योगी सांसद थे और प्रदेश में बसपा की सरकार थी। ऐसे में वहां मिली जीत और महत्वपूर्ण हो जाती है। अहम यह भी है कि रामपुर और आजमगढ़ दोनों ही जगह वोटों के समीकरण योगी के राजनीतिक स्टाइल के हिसाब से मुफीद नहीं हैं। बावजूद इसके सीएम ने वहां जनसभाओं में खुलकर अपना दांव खेला। रामपुर में उन्होंने रामपुरी चाकू सज्जन हाथों में देने की अपील के साथ ही सिखों, दलितों और गरीबों मुस्लिमों को सुरक्षा और जीविका का भरोसा दिया। आजमगढ़ को ‘आर्यगढ़’ बताकर उन्होंने अपने कोर वोटरों के ध्रुवीकरण से भी परहेज नहीं किया। इन प्रयोगों के बाद उप-चुनावों में बीजेपी के पक्ष में आए नतीजे ना केवल योगी के आत्मविश्वास को बढ़ाएंगे बल्कि भाजपा के लिए रणनीति के नए विकल्प भी खोलेंगे। 


-संजय सक्सेना


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