26 जनवरी। हमारे राष्ट्र का गणतंत्र दिवस। आज के दौर में यह हमारे लिये महज एक छुट्टी से बढ़कर कुछ नहीं रह गया है। इस दिन ज्यादा से ज्यादा हम अपनी प्रोफाइल फोटो बदल कर तिरंगे की तस्वीर लगा देते हैं या देशप्रेम भरे गीत सुन लेते हैं। टीवी पर भी देशभक्ति से ओत-प्रोत फ़िल्में चला दी जाती हैं और हम मान लेते हैं कि राष्ट्रीय पर्व मनाने का इससे बेहतर तरीका है ही नहीं।
यह हमारे देश का 69वाँ गणतंत्र दिवस है और इस अवसर पर यह जानना जरूरी है कि आप जानें कि क्यों मनाया जाता है गणतंत्र दिवस और क्या है इसका महत्व।
सन् 1950 में 26 जनवरी को ही हमारे देश का संविधान लागू हुआ था। यह 26 नवंबर 1949 को पारित हुआ तथा अगले वर्ष 26 जनवरी को प्रभावी हुआ। इसी दिन भारत को एक संवैधानिक देश घोषित किया था। यह भारतीय जनता के लिये गर्व और स्वाभिमान की बात होनी चाहिए कि भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।
इस अवसर पर देश भर में समारोह आयोजित होते हैं। मुख्यतः राजपथ पर इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक परेड निकलती है, जिसमें विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि अपनी संस्कृति और लोककला का प्रर्दशन करते हैं और हमारे देश की एकता को दर्शाते हैं जिससे हमारे मन में गर्व की भावना का संचार होता है।
आज जब देश में असहिष्णुता जैसे मुद्दे लगातार उठ रहे हैं, तो बहुत जरूरी है कि हम अपने राष्ट्रीय पर्वों का महत्व समझें और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाएँ ताकि देश को बुलंदियों तक पहुँचाया जा सके जिसका स्वप्न हमारे संविधान निर्माताओं और स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा था। प्रयास होना चाहिए कि यथार्थ के कठोर धरातल पर उन स्वतंत्रता सेनानियों की उम्मीदों को आकार दिया जा सके जिन्होंने भारत के स्वर्णिम भविष्य के लिये हँसते-हँसते अपने प्राण न्योछावर कर दिये।
तो आज यह प्रण लें कि देशभक्ति केवल राष्ट्रीय पर्वों पर ही नहीं बल्कि सदैव लहू में ज्वाला बनकर बहे और राष्ट्रीय पर्व महज एक छुट्टी बनकर ना रह जाए।
- विदूषी शुक्ला