Jan Gan Man: New India को धर्म के आधार पर नहीं तोड़ा जा सकता। संसद ने IUML के प्रयास को किया विफल

By नीरज कुमार दुबे | Mar 29, 2023

नमस्कार प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम जन गण मन में आप सभी का स्वागत है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है लेकिन यहां अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय भी है और अल्पसंख्यक आयोग भी है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है लेकिन यहां कुछ राज्य धर्म के नाम पर आरक्षण देते हैं। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है लेकिन राज्यसभा में मांग होती है कि मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए विशेष कोष सृजित किया जाये। यह स्थिति तब है जब भारतीय संविधान का आर्टिकल 14 कहता है कि सभी भारतीय एक समान हैं और सबको कानून का समान संरक्षण प्राप्त है। आर्टिकल 15 कहता है कि जाति, पंथ, भाषा, क्षेत्र, जन्मस्थान के आधार पर किसी से भेदभाव नहीं किया जाएगा और आर्टिकल 16 कहता है कि हिंदू हो या मुसलमान, नौकरियों में सबको समान अवसर मिलेगा। यही नहीं, यह भी उल्लेख मिलता है कि 26 मई 1949 को संविधान सभा में आरक्षण पर बहस के दौरान अनुसूचित जातियों को आरक्षण देने के प्रश्न पर आम राय थी लेकिन धार्मिक आधार पर आरक्षण देने पर अत्यधिक विरोध था।


लेकिन कुछ राजनीतिज्ञ ऐसे हैं जिनको राष्ट्र से ज्यादा धर्म से प्यार है और धर्म ही उनके लिए सबकुछ है। ऐसे लोग अक्सर तुष्टिकरण की राजनीति को बढ़ावा देते हुए दिखाई देते हैं। हालिया मामला इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग से जुड़ा हुआ है। इस पार्टी के सांसद ने राज्यसभा में जो निजी संकल्प पेश किया था उसे सदन ने अस्वीकार कर ऐतिहासिक निर्णय किया। इस निजी संकल्प में मुसलमानों खासकर महिलाओं के शैक्षणिक एवं सामाजिक पिछड़ेपन को ध्यान में रखते हुए मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए विशेष कोष सृजित करने की मांग की गई थी। अल्पसंख्यक कार्य मंत्री स्मृति ईरानी ने निजी संकल्प का विरोध करते हुए कहा था कि देश में धर्म के आधार पर लोगों के बीच विभाजन नहीं होना चाहिए और मौजूदा सरकार सभी तबकों को साथ लेकर ‘‘न्यू इंडिया’’ की दिशा में काम कर रही है, जो समावेशी और समता पर आधारित है।

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स्मृति ईरानी ने संसद के उच्च सदन में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के अब्दुल वहाब के निजी संकल्प पर हुई चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि इस निजी विधेयक में नागरिकों और संविधान पर आक्षेप का प्रयास किया गया है। उन्होंने समाज के सभी तबकों के समावेश पर बल देते हुए कहा कि यह सरकार तीन दशकों के बाद नयी शिक्षा नीति लेकर आई है, जिसे गहन विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है। उन्होंने नयी शिक्षा नीति को समावेशी बताते हुए कहा कि अंतिम रूप देने से पहले विभिन्न स्तरों पर एवं विभिन्न पक्षों के साथ गहन विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार ने लोगों के कौशल विकास को संस्थागत रूप दिया है और ‘‘न्यू इंडिया’’ के निर्माण की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि ‘‘न्यू इंडिया’’ को धर्म के आधार पर नहीं तोड़ना चाहिए।


हम आपको यह भी बता दें कि भारत में धर्म के आधार पर बढ़ती राजनीति के बीच, देश में पीआईएल मैन के रूप में विख्यात सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने हाल ही में कहा था कि जो लोग धर्म के आधार पर मुस्लिमों के लिए आरक्षण मांगते हैं उनसे सवाल यह है कि क्या उस समुदाय को अल्पसंख्यक कह सकते हैं जो भारत के 200 से ज्यादा जिलों में पार्षद-प्रधान का भविष्य तय करता हो, लगभग 200 लोकसभा क्षेत्रों में सांसद का भविष्य तय करता हो और लगभग 1000 विधान सभा क्षेत्रों में हार जीत का निर्धारण करता हो? उन्होंने कहा था कि संविधान में सभी नागरिकों को बराबर अधिकार मिला हुआ है इसलिए अब समय आ गया है कि अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक के आधार पर समाज का विभाजन बंद किया जाए।

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