Jan Gan Man: Uniform Banking Code की क्यों हो रही है माँग ? क्या इससे अवैध विदेशी फंडिंग को रोका जा सकेगा?

Uniform Banking Code
ANI

याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा है कि विदेशी कोष के स्थानांतरण के लेकर प्रणाली में कुछ खामियां हैं जिनका फायदा अलगाववादी, नक्सली, माओवादी और आतंकवादी उठा सकते हैं। उनका कहना है कि समान बैंकिंग संहिता देश के लिए जरूरी है।

नमस्कार, प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम जन गण मन में आप सभी का स्वागत है। देश में समान नागरिक संहिता की मांग के बीच अब समान बैंकिंग संहिता की मांग भी उठने लगी है। इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका भी दायर की गयी है। इस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने भारतीय रिजर्व बैंक को जवाब देने के लिए छह सप्ताह का और समय दिया है। हम आपको बता दें कि वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अपनी जनहित याचिका में अपील की है कि बेनामी लेनदेन और काले धन पर रोकथाम के लिए विदेशी विनिमय लेनदेन के लिए एकसमान बैंकिंग संहिता लागू की जाए।

याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा है कि विदेशी कोष के स्थानांतरण के लेकर प्रणाली में कुछ खामियां हैं जिनका फायदा अलगाववादी, नक्सली, माओवादी और आतंकवादी उठा सकते हैं। उनका कहना है कि समान बैंकिंग संहिता देश के लिए जरूरी है। उनका कहना है कि घरेलू लेनदेन के लिए NEFT-RTGS का उपयोग होता है और विदेशी लेनदेन के लिए IMT का। उपाध्याय का कहना है कि लेकिन विदेशी बैंक NEFT-RTGS के जरिए विदेशी लेनदेन कर रहे हैं इसलिए आरबीआई को अवैध विदेशी फंडिंग का पता नहीं चलता है।

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हम आपको यह भी बता दें कि पिछले वर्ष पांच दिसंबर को अदालत ने कहा था कि इस मामले पर विस्तृत सुनवाई करने की जरूरत है, इसके साथ ही उसने आरबीआई को याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया था। लेकिन अब आरबीआई को और छह सप्ताह का समय मिल गया है। उससे पहले, पिछले साल अप्रैल महीने में इस मामले पर सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि केंद्र सरकार याचिकाकर्ता की ओर से उठाये गये मुद्दे पर गंभीरता के साथ गौर करे। उस दौरान सरकार की ओर से अदालत में पेश हुए एएसजी ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने एक गंभीर मुद्दा उठाया है और हम निश्चित ही इस पर विचार करेंगे। हम आपको बता दें कि अपनी याचिका में उपाध्याय ने दलील दी है कि जब वीजा के लिए आव्रजन नियम समान हैं तो विदेशी मुद्रा लेन-देन के लिए विदेशी बैंक शाखाओं सहित भारतीय बैंकों में जमा विवरण एक ही प्रारूप में होना चाहिए चाहे वह चालू खाते में निर्यात भुगतान हो या बचत खाते में वेतन।

बहरहाल, अब इस मामले में भारतीय रिजर्व बैंक को अपना जवाब देने के लिए छह सप्ताह का समय मिल गया है इसलिए देखना होगा कि देश का केंद्रीय बैंक क्या जवाब दाखिल करता है। फिलहाल इस मामले की सुनवाई के बाद अश्विनी उपाध्याय ने समान बैंकिंग संहिता की जरूरत को एक बार फिर रेखांकित किया है। 

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