By रेनू तिवारी | Jan 27, 2025
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में बलात्कार और हत्या की शिकार 31 वर्षीय डॉक्टर के माता-पिता ने कहा है कि वे अपराध के दोषी संजय रॉय के लिए मृत्युदंड की मांग नहीं कर रहे हैं। उनकी वकील गार्गी गोस्वामी ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कलकत्ता उच्च न्यायालय को उनके रुख से अवगत कराया। पीड़िता के परिवार का प्रतिनिधित्व करते हुए गोस्वामी ने अदालत में कहा, "सिर्फ़ इसलिए कि उनकी बेटी ने अपनी जान गँवा दी है, इसका मतलब यह नहीं है कि दोषी को भी अपनी जान गँवानी पड़ेगी।"
पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दायर अपीलों की प्रारंभिक सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया। दोनों ने दोषी संजय रॉय को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाने के सियालदह सत्र न्यायालय के फ़ैसले को चुनौती दी है और मृत्युदंड की माँग की है।
पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले एडवोकेट जनरल किशोर दत्ता ने तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट का फ़ैसला अपर्याप्त था। दत्ता ने ऐसे कानून का हवाला दिया जो राज्य सरकारों को उन मामलों में सज़ा के ख़िलाफ़ अपील करने की अनुमति देता है जहाँ सज़ा अपर्याप्त मानी जाती है। उन्होंने धारा 377 में संशोधन का उदाहरण दिया, जिसमें ऐसे अधिकारों के बारे में विस्तार से बताया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले माना था कि ऐसे मामलों में केवल केंद्र सरकार ही अपील कर सकती है, लेकिन संशोधन में स्पष्ट किया गया है कि राज्य भी सख्त सजा की मांग कर सकते हैं। उन्होंने मामले में राज्य के प्रतिनिधित्व को मजबूत करने के लिए एक सरकारी वकील की नियुक्ति का भी अनुरोध किया।
इस मामले की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक ने संघीय ढांचे के तहत राज्य के अपील करने के अधिकार को स्वीकार किया, लेकिन केंद्र सरकार की भूमिका के साथ इसे संतुलित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। न्यायाधीश ने कहा कि राज्य और सीबीआई की अपील का एक ही उद्देश्य था - दोषी के लिए अधिक कठोर सजा की मांग करना।