15 मार्च तक हो सकता है RLSP का JDU में विलय ! बागियों ने बढ़ाई कुशवाहा की मुश्किलें

By अंकित सिंह | Mar 09, 2021

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड के विलय की चर्चा से बिहार की सियासत गरमाई हुई है। बड़ी खबर अब यह आ रही है कि 15 मार्च के आसपास रालोसपा का जदयू में विलय हो जाएगा। हाल ही में जदयू के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह और रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के मुलाकात आईजीआईएमएस में हुई थी। दोनों ही भले ही वहां वैक्सीन लगवाने पहुंचे थे लेकिन इसके सियासी मायने निकाले जा रहे है। दो-तीन दिनों के भीतर रालोसपा की बैठक होनी है जिसमें यह तय होगा कि जदयू के साथ विलय करना है या नहीं करना है। रालोसपा का एक धड़ा जहां जदयू के साथ विलायक पर तैयार है, वही पार्टी के महासचिव विनय कुशवाहा अपने 40 समर्थकों के साथ रालोसपा से त्यागपत्र दे दिया है। बावजूद इसके रालोसपा का एक बड़ा तबका जदयू के साथ विलय को तैयार है। बागियों ने दावा किया कि नीतीश कुमार के साथ उपेंद्र कुशवाहा गलबहिया कर रहे हैं। 

 

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इन सबके बीच माना जा रहा है कि इसको लेकर उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है। इतना ही नही, उपेंद्र कुशवाहा और वशिष्ठ नारायण सिंह के बीच भी लगातार बैठक हो रही है। उपेंद्र कुशवाहा को जदयू में लाने का काम सबसे ज्यादा सक्रिय होकर वशिष्ठ नारायण सिंह ही कर रहे हैं। दोनों दलों की ओर से यह कहा जा रहा है कि अगर कोई फैसला होता है उसका निर्णय या तो नीतीश कुमार करेंगे या फिर उपेंद्र कुशवाहा करेंगे। जदयू में रालोसपा के विलय होने के बाद माना जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा को बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। बिहार मंत्रिमंडल विस्तार से पहले भी उपेंद्र कुशवाहा के सरकार में शामिल होने की चर्चा थी लेकिन जदयू ने उनके सामने यह शर्त रखी थी कि रालोसपा का विलय वह पार्टी में कर ले। उस समय उपेंद्र कुशवाहा इसके लिए तैयार नहीं हुए थे। 


रालोसपा में भी इस बात को लेकर खींचतान जारी थी। उस समय भी यह कहा जा रहा था कि उपेंद्र कुशवाहा सही समय का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि यह बात स्पष्ट होने लगी थी कि उपेंद्र कुशवाहा और उनकी पार्टी का बड़ा तबका जदयू में विलय को तैयार है। उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार की जोड़ी बिहार में लव-कुश की जोड़ी के नाम से मशहूर है। एक कुर्मी समुदाय से आते हैं तो दूसरे कुशवाहा समुदाय से। इस ओबीसी वोट बैंक को साधने के लिए नीतीश उपेंद्र कुशवाहा के साथ नया समीकरण बना रहे हैं। हालांकि ये दोनों नेता कभी साथ रहे हैं तो कभी बिछड़े हैं। कभी दोनों में दोस्ती रही है तो कभी टकराव भी देखने को मिली है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने राजग में अपनी वापसी की अटकलों के बारे में कुछ भी स्पष्ट करने से इंकार करते हुए बुधवार को कहा कि अगले सप्ताह पार्टी की बैठक में भविष्य की रणनीति की घोषणा की जाएगी।

 

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रालोसपा प्रमुख ने हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उनकी बैठकों पर पूछे गए सवालों को टाल दिया। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि आप मुझे रोक (मुख्यमंत्री से मिलने से) नहीं सकते हैं। गौरतलब है कि कुशवाह करीब एक दशक पहले कुमार की पार्टी जदयू से अलग हो गए थे। कुशवाहा के जदयू में वापसी के बारे में नीतीश ने कहा कि देखिए, समय का इंतजार कीजिए। पार्टी का नौवां स्थापना दिवस मनाने के बाद पत्रकारों से कुशवाहा ने कहा पार्टी की अगली बैठक में भविष्य की रूप रेखा तैयार की जाएगी। रालोसपा के जदयू में विलय के बारे में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि खबर लिखने और दिखाने वाले आप ही हैं। ऐसे में इस बात पर क्या जवाब दूं। राजग में वापसी को लेकर जदयू के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह के के बयान में रालोसपा प्रमुख ने कहा कि वह वरिष्ठ नेता हैं। मैं उनपर टिप्पणी नहीं कर सकता। मैं केवल वही कह सकता हूं जो मैंने अतीत में खुद कहा है। 

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