By अनुराग गुप्ता | Aug 02, 2021
नयी दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी ने दुनिया के तमाम मुल्कों में हाहाकार मचाया हुआ है। चीन के वुहार शहर से निकलते इस वायरस के खिलाफ 'वैक्सीन' एक मात्र हथियार है। केंद्र सरकार समेत प्रदेश की तमाम सरकारें सभी से अपनी बारी आने पर वैक्सीन लेने की अपील कर रही हैं। इसी बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर हलाल_नही_वैक्सीन_जरूरी नामक हैशटैग चल रहा है।
हैशटैग हलाल_नही_वैक्सीन_जरूरी के साथ फोटो भी काफी शेयर हो रहा है। जिसमें ऊपर की तरफ लिखा है कि हलाल सर्टिफिकेट भारत को इस्लामीकरण की ओर ले जाने वाला आर्थिक जिहाद ! इसके अलावा भी तरह-तरह के पोस्टर सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं।
हलाल का सर्टिफिकेट भारत सरकार नहीं देती है। भारत में यह सर्टिफिकेट कुछ प्राइवेट संस्थान जैसे हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, हलाल सर्टिफिकेशन सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, जमायत उलमा ए हिन्द हलाल ट्रस्ट आदि।
इतना ही नहीं कोरोना वैक्सीन को लेकर भी कई मुस्लिम देशों के बीच चर्चा छिड़ गई थी। दरअसल इस्लाम धर्म में सुअर और शराब से निर्मित चीजों को हराम माना जाता है। ऐसे में वैक्सीन को लेकर कई तरह की अफवाहें सामने आने के बाद इंडोनेशिया और मलेशिया से बहस तेज हो गई और कहा गया कि कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां या फिर सरकारें इसकी पुष्टी नहीं करती हैं तब तक वैक्सीन लगवाना गुनाह है।इसी बीच डब्ल्यूएचओ का बयान सामने आया था। जिसमें कहा गया था कि वैक्सीन पूरी तरह से हलाल है। इसके निर्माण में किसी भी जाति और धर्म के लोगों को ठेस पहुंचाने का प्रयास नहीं किया गया। इतना ही नहीं वैक्सीन में जानवरों की हड्डी और चमड़ी का इस्तेमाल नहीं किया गया है। ऐसे में अफवाहों की तरफ ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है।