एस जयशंकर ने फिर कहा, यूक्रेन मुद्दे पर भारत का रुख स्पष्ट, यह युद्ध का युग नहीं, बातचीत के जरिये निकले समाधान

By अंकित सिंह | Dec 05, 2022

भारत और जर्मनी के विदेश मंत्रियों की आज मुलाकात हुई है। इस दौरान जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक ने साफ तौर पर कहा है कि जब दुनिया कठिन परिस्थितियों का सामना कर रही है तो मिलकर रहना ही महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच यूक्रेन मुद्दे को लेकर ही बातचीत हुई है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन मुद्दे पर भारत का रुख स्पष्ट, यह युद्ध का युग नहीं है और बातचीत के जरिये समाधान निकाला जाना चाहिए। जर्मनी की विदेश मंत्री के साथ चर्चा पर जयशंकर ने कहा ने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति और पाकिस्तान से उत्पन्न सीमा पार आतंकवाद पर बातचीत हुई। आपको बता दें कि भारत और जर्मनी के विदेश मंत्रियों ने गतिशीलता साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए जिससे लोगों के लिए एक-दूसरे के देश में अध्ययन और काम करना आसान होगा।

 

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विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत और जर्मनी के बीच गतिशीलता समझौते पर हस्ताक्षर अधिक समकालीन द्विपक्षीय साझेदारी के आधार का एक मजबूत संकेत है। उन्होंने कहा कि हमारी रणनीतिक साझेदारी जो दो दशकों से अधिक पुरानी है, वो वास्तव में अधिक राजनीतिक आदान-प्रदान, निरंतर बढ़ते व्यापार, अधिक निवेश से मजबूत हुई है है। उन्होंने कहा कि आज हमने अपने द्विपक्षीय संबंधों के अलावा दिन के प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। इसमें यूक्रेन में संघर्ष, हिंद-प्रशांत सामरिक स्थिति शामिल रही। जर्मन विदेश मंत्री अन्नालेना बेयरबॉक ने कहा कि मैंने गांधी स्मृति से भारत की अपनी यात्रा शुरू की। जब मैंने आज गांधी के अंतिम कदमों का अनुसरण किया तो मुझे पूरी तरह से पता चला कि भारत की स्वतंत्रता की राह वास्तव में आसान नहीं थी। 

 

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इस दौरान एस जयशंकर ने यह भी कहा कि यूरोपीय संघों ने फरवरी से नवंबर तक रूस से अगले 10 देशों की तुलना में अधिक जीवाश्म ईंधन का निर्यात किया है। यूरोपीय संघ में तेल का आयात भारत द्वारा आयात किए गए तेल का छह गुना है; गैस अनंत गुना है क्योंकि हम इसका आयात नहीं करते। उन्होंने कहा कि यूरोपीय देशों की तुलना में रूस के साथ हमारा व्‍यापार बहुत छोटे स्‍तर पर है- 12-13 अरब डॉलर। हमने रूसियों को उत्पादों का एक सेट भी दिया है... मुझे नहीं लगता कि लोगों को व्यापार बढ़ाने के लिए किसी भी व्यापारिक देश की वैध अपेक्षाओं के अलावा इसमें और अधिक पढ़ना चाहिए।

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