By एकता | Jul 21, 2025
2013 में जब 'आशिकी 2' रिलीज हुई, तो उसकी कहानी, गाने और आदित्य रॉय कपूर का किरदार लोगों को बहुत पसंद आया। लेकिन ज्यादातर लोगों ने उस किरदार के डिप्रेशन और अंदरूनी दर्द को नजरअंदाज कर दिया। अब सालों बाद 'सैयारा' फिल्म रिलीज हुई है, और इसकी कहानी और गानों ने फिर से लोगों का दिल जीत लिया है। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहे हैं, लोग खासकर पुरुष इस फिल्म को देखते हुए रोते नजर आ रहे हैं। लेकिन हैरानी की बात ये है कि अब भी कोई ‘पुरुष डिप्रेशन’ पर बात नहीं कर रहा।
'सैयारा' सिर्फ ये नहीं दिखाती कि जब एक पुरुष प्यार करता है, तो वो क्या करता है बल्कि ये भी दिखाती है कि जब एक पुरुष टूटता है, अकेला महसूस करता है, और अंदर ही अंदर डिप्रेशन से जूझता है, तब क्या होता है। जब हर कोई कृष कपूर के रोमांस की बातें कर रहा है, आइए हम आपको दिखाते हैं उस किरदार का वो पहलू जो अक्सर छुपा रह जाता है, एक पुरुष के मानसिक संघर्ष की कहानी, जिसे समझना और महसूस करना बहुत जरूरी है।
मनोवैज्ञानिक ऐश्वर्या पुरी बताती हैं कि 'सैयारा' फिल्म में अहान पांडे का किरदार, कृष कपूर, बाहर से बिल्कुल ठीक लगता है। वो मुस्कुराता है, मजाक करता है, फ्लर्ट करता है, पार्टी करता है, शराब पीता है, लेकिन भीतर ही भीतर टूट रहा होता है। दरअसल, पुरुषों का डिप्रेशन हमेशा आंसुओं या उदासी की शक्ल में सामने नहीं आता। कई बार यह गुस्से, चुप्पी, या बेरुखी के रूप में नजर आता है। कभी-कभी यह 'मैं बहुत बिजी हूं' के बहाने में छुप जाता है, और कभी 'अब मुझे किसी बात की परवाह नहीं' जैसी उदासीनता में बदल जाता है। याद रखिए, पुरुषों का डिप्रेशन, महिलाओं के डिप्रेशन जैसा नहीं होता। यह अक्सर कम दिखता है, लेकिन उतना ही गंभीर होता है। इसे समझना और पहचानना बेहद जरूरी है।
जब कोई पुरुष डिप्रेशन में होता है, तो अक्सर उसका गुस्सा बेकाबू हो जाता है। छोटी-छोटी बातें भी उसे बहुत ज्यादा परेशान करने लगती हैं, और वह बेवजह चिडचिडाने लगता है। सामने वाले के लिए यह समझना मुश्किल हो जाता है कि आखिर परेशानी क्या है। 'सैयारा' में कृष का गुस्सा कई बार खुलकर सामने आता है। वह लोगों से बेवजह उलझता है, क्योंकि वह अपने अंदर के दर्द और बेचैनी को किसी से बांट नहीं पाता।
डिप्रेशन में व्यक्ति दुनिया से कटने लगता है। उसे अकेलापन रास आने लगता है, लेकिन यही अकेलापन उसे अंदर ही अंदर और ज्यादा तोडता चला जाता है। वह दोस्तों और परिवार से बातचीत बंद कर देता है, और सामाजिक मेलजोल से बचने लगता है। 'सैयारा' में कृष बाहर से भले ही मिलनसार और खुशमिजाज दिखता हो, लेकिन असल में वह खुद को सबसे अलग कर चुका होता है। उसकी खिलखिलाती मुस्कान के पीछे एक गहरी उदासी और अकेलापन छिपा होता है।
डिप्रेशन से जूझते पुरुष अक्सर अपनी तकलीफों को भुलाने या उनसे बचने के लिए शराब या नशे का सहारा लेने लगते हैं। उन्हें लगता है कि इससे उनका दर्द कम हो जाएगा, लेकिन यह सिर्फ एक अस्थायी राहत होती है जो समस्या को और बढा देती है। 'सैयारा' फिल्म में कृष कपूर बार-बार शराब पीते हुए नजर आता है, मानो वह अपने अंदर के खालीपन और बेचैनी से भागने की कोशिश कर रहा हो।
कई बार पुरुष अपने डिप्रेशन को छुपाने के लिए यह दिखाने की कोशिश करते हैं कि उनकी जिंदगी में सब कुछ बिलकुल ठीक है। वे मुस्कुराते हैं, मजाक करते हैं और सामान्य व्यवहार करते हैं, लेकिन अंदर ही अंदर वे बहुत दुखी और टूटे हुए होते हैं। सैयारा में कृष भी बाहर से हर चीज सामान्य होने का दिखावा करता है। वह लोगों के साथ हंसता है, फ्लर्ट करता है, लेकिन यह सब उसके गहरे दर्द को छुपाने का एक तरीका होता है।
डिप्रेशन में व्यक्ति को अपने पसंदीदा कामों, रिश्तों या यहां तक कि अपनी जिंदगी में भी कोई खुशी या मजा महसूस नहीं होता। उसे लगता है कि अब किसी भी चीज का कोई मतलब नहीं है, और उसकी सारी दिलचस्पी खत्म हो जाती है। 'सैयारा' में कृष का व्यवहार कई बार ऐसा लगता है जैसे उसे किसी बात की परवाह ही नहीं, न अपने करियर की, न रिश्तों की, और न ही खुद की भलाई की।
डिप्रेशन से जूझ रहे पुरुष अक्सर नींद से जुडी समस्याओं का अनुभव करते हैं। या तो वे बहुत कम सो पाते हैं, या फिर बहुत ज्यादा। उन्हें हर समय थकान महसूस होती है, जैसे सिर्फ शरीर ही नहीं, बल्कि उनका मन भी बुरी तरह थक गया हो। 'सैयारा' में कृष कपूर का चेहरा कई बार थका हुआ और बुझा-बुझा सा लगता है। जैसे उसके अंदर की सारी ऊर्जा और रोशनी कहीं खो गई हो, और वह लगातार भारीपन महसूस कर रहा हो।