By एकता | May 18, 2025
शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान के साथ सैन्य वृद्धि के मुद्दे पर सरकार के सांसदों को विदेश भेजने के फैसले पर सवाल उठाया है। उन्होंने इस कदम की तुलना दूल्हे की बारात से करते हुए कहा कि यह अनावश्यक है। सरकार ने हाल ही में विभिन्न दलों के सांसदों के सात प्रतिनिधिमंडलों को कई देशों में भेजने का फैसला किया है, ताकि भारत की स्थिति को समझाया जा सके और पाकिस्तान पर आतंकवाद को पनाह देने का आरोप लगाते हुए उस पर दबाव बनाया जा सके।
राउत ने कहा, 'इस बारात को भेजने की कोई आवश्यकता नहीं थी। प्रधानमंत्री कमजोर हैं। इसे जल्दबाजी में करने की कोई आवश्यकता नहीं थी। उपमुख्यमंत्री का बेटा विदेश में क्या प्रतिनिधित्व करेगा?' उन्होंने सवाल पूछा, 'भाजपा ने इसका राजनीतिकरण कर दिया है, उन्हें हर चीज में राजनीति करने की आदत है। भारत ब्लॉक को इस बारात का बहिष्कार करना चाहिए।'
ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के रुख को दुनिया के सामने रखने के लिए सरकार ने सात प्रतिनिधिमंडल बनाए हैं। इनमें 51 राजनीतिक नेता, सांसद और पूर्व मंत्री शामिल हैं, जिनमें कांग्रेस के शशि थरूर, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, एनसीपी (एसपी) नेता सुप्रिया सुले और डीएमके की कनिमोझी जैसे प्रमुख नाम हैं।
इन प्रतिनिधिमंडलों में सत्तारूढ़ एनडीए के 31 और गैर-एनडीए दलों के 20 सदस्य हैं। हर प्रतिनिधिमंडल में कम से कम एक मुस्लिम प्रतिनिधि शामिल है। ये प्रतिनिधिमंडल यूके, फ्रांस, जर्मनी, यूरोपीय संघ, इटली और डेनमार्क जैसे देशों का दौरा करेंगे और आतंकवाद के मुद्दे पर भारत की स्थिति को प्रस्तुत करेंगे।