By प्रिया मिश्रा | Aug 10, 2020
हाल ही में 7 अगस्त को देशभर में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस (नेशनल हैंडलूम डे) मनाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में घोषणा की थी कि हर साल सात अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में मनाया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मानाने का उद्देश्य हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देना, हथकरघा बुनकरों को प्रोत्साहन देना और देश के आर्थिक विकास में इसके योगदान के प्रति जागरूकता फैलाना है। लेकिन इस साल राष्ट्रीय हथकरघा दिवस से कुछ दिनों पहले ही 27 जुलाई 2020 को केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय ने एक नोटिस जारी कर अखिल भारतीय हथकरघा मंडल (ऑल इंडिया हैंडलूम बोर्ड) को हटाने की घोषणा की थी। कपड़ा मंत्रालय के मुताबिक ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ के तहत ऐसा किया गया। यह पहली बार था कि अखिल भारतीय हथकरघा मंडल के बिना राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया गया हो। देश में हथकरघा उद्योग और हथकरघा बुनकरों के विकास में ऑल इंडिया हैंडलूम बोर्ड की अहम भूमिका रही है। सरकार के इस फैसले से हथकरघा उद्योग से जुड़े लोग नाखुश हैं। इसके साथ ही इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का भी यह मानना है कि हथकरघा बुनकरों के सशक्तिकरण और उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने में ऑल इंडिया हैंडलूम बोर्ड का बड़ा योगदान रहा है। ऑल इंडिया हैंडलूम बोर्ड का काम सरकार के साथ मिलकर हथकरघा बुनकरों के बेहतर विकास के लिए योजनाएँ बनाना था। आइए जानते हैं ऑल इंडिया हैंडलूम बोर्ड द्वारा हथकरघा बुनकरों के लिए गई योजनाओं के बारे में -
क्या है ऑल इंडिया हैंडलूम बोर्ड
अखिल भारतीय हथकरघा मंडल (ऑल इंडिया हैंडलूम बोर्ड) की स्थापना 1992 में की गई थी। इस बोर्ड का मुख्य उद्देश्य हरकरघा उद्योग और हथकरघा बुनकरों के बेहतर विकास के लिए सरकार के साथ मिलकर योजनाएं तैयार करना था। ऑल इंडिया हैंडलूम बोर्ड इकलौता एक ऐसा मंच था जहाँ हथकरघा उद्योग से जुड़े लोग सरकार के साथ मिलकर इस उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए और बुनकरों को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाने के लिए काम करते थे। ऑल इंडिया हैंडलूम बोर्ड हथकरघा बुनकरों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हथकरघा मेलों और प्रदर्शनियों का आयोजन करवाने और हथकरघा बुनकरों को सरकार से सब्सिडी और ग्रांट्स दिलवाने में मदद करता था।
ऑल इंडिया हैंडलूम बोर्ड द्वारा बनाई गई योजनाएँ -
हथकरघा बुनकर व्यापक कल्याण योजना (The Handloom Weavers Comprehensive Welfare Scheme)
2018 में शुरू की गई इस योजना के तहत 18-50 वर्ष तक के सभी हथकरघा बुनकर प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा और प्रधानमंत्री सुरक्षा बिमा योजना का लाभ उठाने के लिए योग्य हैं। इस योजना के अंतर्गत, बुनकरों के दो बच्चों को पढ़ाई के लिए सालाना स्कॉलरशिप दी जाएगी।
राष्ट्रीय हथकरघा विकास प्रोग्राम (National Handloom Development Programme)
इस योजना का उद्देश्य हथकरघा बुनकरों और उनके बच्चों की शिक्षा के क्षेत्र में मदद करना है। इस योजना के तहत हथकरघा बुनकरों की अनुसूचित वर्ग, अनुसूचित जाति, गरीबी रेखा से नीचे और महिलाओं को नेशनल स्कूल ऑफ़ ओपन लर्निंग और इंदिरा गाँधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी में दाखिला की 75 प्रतिशत फीस केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय द्वारा भरी जाती है।
हथकरघा विपणन सहायता (Handloom Marketing Assistance)
यह राष्ट्रीय हथकरघा विकास योजना का ही एक हिस्सा है। इसके तहत कथकरघा बुनकरों और एजेंसियों को उनके उत्पादों की बेहतर बिक्री के लिए मार्केटिंग अस्सिटेंस यानि विपणन सहायता दी जाती है। यह बुनकरों और उनकी एजेंसी को सीधे ग्राहक से जोड़ता है जिससे उन्हें सही कीमत मिल सके। इसके अलावा इस योजना के तहत बुनकरों की एजेंसियों को को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शनी आयोजित करने के लिए आर्थिक सहायता भी दी जाती है।
बुनकर मुद्रा योजना (Weaver MUDRA Scheme)
बुनकरों की नकदी जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार ने पंजाब नेशनल बैंक के साथ मिलकर बुनकर मुद्रा योजना शुरू की है। इस योजना केअंतर्गत बुनकरों को 6% के रियायती ब्याज दर पर लोन उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा बुनकरों को 10000 तक का नकद कर्ज इसमें बुनकरों के लिए नकद कर्ज की सुविधा शुरू करने की घोषणा की गई है। इसके तहत मार्जिन मनी प्रोजेक्ट कास्ट का 20 प्रतिशत अधिकतम 10000 तक देय है। इस योजना के अंतर्गत व्यक्तिगत बुनकर, मास्टर बुनकर व हथकरघा उद्यमी को 50000 से 5 लाख तक ऋण मिल सकते हैं।
धागा आपूर्ति योजना (Yarn Supply Scheme)
इस योजना के तहत जिन क्षेत्रों में बुनकरों की ज़्यादा संख्या है वहां धागा गोदाम की सुविधा उपलब्ध करवाई गयी और धागे की खरीद पर 10% सब्सिडी भी दी जाती है।