सेनारी नरसंहार की बर्बर कहानी, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को लाशें देख पड़ा था दिल का दौरा, जानें 1999 की रात को क्या हुआ था

By अभिनय आकाश | May 22, 2021

"हीन मूल की ओर देख जग गलत कहे या ठीक, वीर खींचकर ही रहते हैं इतिहासों में लीक। दया-धर्म जिसमें हो, सबसे वही पूज्य प्राणी है। सबसे श्रेष्ठ वही ब्राह्मण है, हो जिसमें तप-त्याग।" राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जो सोच है वो आम जनमानस की सोच रही है। आज चाहे अनचाहे जाति बिहार की आदत में शामिल है। भेदभाव वाले 21वीं सदी में धुधंला रहे हो लेकिन जातिय हिंसा का रक्त रंजित इतिहास लोगों को कुछ भूलने नहीं देता। आज से 22 साल पहले के एक ऐसे नरंसहार की कहानी से आपको रूबरू करवाने जा रहे हैं जब फर्श पर पड़ी निर्मम लाशें देखकर पटना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को दिल का दौरा पड़ गया था। 

सुप्रीम कोर्ट जाएगी बिहार सरकार 

21 मई को पटना हाईकोर्ट ने बिहार के जहानाबाद में हुए नरसंहार मामले में नीचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया। सेनारी हत्याकांड में नीचली अदालत ने 13 दोषियों को सजा सुनाई थी। मगर पटना हाईकोर्ट ने इन सभी आरोपियों को बरी करते हुए फौरन रिहा करने का आदेश दिया। आरोपियों को बरी किए जाने के बाद नीतीश सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। बिहार के एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने इस बाबत एक अन्य मीडिया समूह से बातचीत में इस बात की पुष्टि भी की है कि सेनारी नरसंहार पर पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। 

इसे भी पढ़ें: बिहार में 24 घंटे में 98 कोरोना मरीजों की मौत, एक दिन में संक्रमण के 5154 मामले आये सामने

क्या कहा हाईकोर्ट ने?  

पटना हाईकोर्ट ने दो दशक पहले हुए नरसंहार के मामले में निचली अदालत से दोषी ठहराए गए सभी 13 लोगों को बरी कर दिया। न्यायमूर्ति अंजनी कुमार सिंह की अगुवाई वाली खंडपीठ ने आरोपियों की अपील को स्वीकार कर लिया और नवंबर 2016 के निचली अदालत के फैसले को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट की तरफ से फैसले में कहा गया कि अभियोजन पक्ष इस कांड के आरोपियों पर लगे आरोप को साबित करने में असफल है। नरसंहार कांड के इन आरोपियों के खिलाफ पुख्ता और ठोस साक्ष्य पेश करने में सरकार पूरी तरह से असफल रही है। 

34 लोगों की हुई हत्या

तत्कालीन जहानाबाद और वर्तमान के अरवल के करपी थाने के सेनारी गांव में 18 मार्च 1999 की शाम करीब 7 बजकर 30 मिनट से 11 बजे रात तक प्रतिबंधित संगठन एमसीसी उग्रवादियों पर गांव के 34 लोगों की तेजधार हथियार से गला व पेट फाड़कर और गोली मार कर निर्मम हत्या कर नरसंहार करने का आरोप है।  

इसे भी पढ़ें: लालू की बेटी ने सुशील मोदी को लेकर ऐसा क्या लिख दिया, ट्विटर ने लॉक किया अकाउंट

जातीय संघर्ष का नतीजा था नरसंहार

राजनीतिक जानकार बताते हैं कि बिहार 90 के दशक में खूनी जातीय संघर्ष के दौर से गुजर रहा था। जहां सवर्णों को इस लड़ाई में रणवीर सेना नाम से संगठन का समर्थन था। वहीं दलितों को माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर ने समर्थन दिया। बताया जाता है कि घटना के अगले दिन पटना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार रहे पद्मनारायण सिंह सेनारी गांव में अपने परिवार से मिलने पहुंचे तो 8 सदस्यों की निर्मम तरीके से फाड़ी हुई लाशें देखकर उनके होश उड़ गए। यह देखने के बाद उन्हें दिल का दौरा पड़ जाता और फिर उनकी मौत हो जाती है। 

10 आरोपियों को निचली अदालत ने सुनाई थी मौत की सजा 

15 नवंबर 2016 को जहानाबाद की जिला अदालत ने इस मामले में 13 में से 10 आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी। जबकि तीन अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।  पुलिस की ओर से कई बार में 74 के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दायर की थी। 

 

प्रमुख खबरें

Vishwakhabram: Modi Putin ने मिलकर बनाई नई रणनीति, पूरी दुनिया पर पड़ेगा बड़ा प्रभाव, Trump समेत कई नेताओं की उड़ी नींद

Home Loan, Car Loan, Personal Loan, Business Loan होंगे सस्ते, RBI ने देशवासियों को दी बड़ी सौगात

सोनिया गांधी पर मतदाता सूची मामले में नई याचिका, 9 दिसंबर को सुनवाई

कब से सामान्य होगी इंडिगो की उड़ानें? CEO का आया बयान, कल भी हो सकती है परेशानी