अरविंद केजरीवाल के शीश महल पर नहीं बल्कि उनके वादों पर गंभीर सवाल उठे हैं

By नीरज कुमार दुबे | Apr 26, 2023

आंदोलन से उपजी आम आदमी पार्टी ने देश को ईमानदार राजनीति का सपना दिखाया था। आंदोलन से उपजी आम आदमी पार्टी ने देश की राजनीतिक व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन लाने का वादा कर देश में एक नया विश्वास जगाया था। इंडिया अगेंस्ट करप्शन के नेता अरविंद केजरीवाल के तेवर देखकर आम आदमी को लगा था कि भ्रष्टाचार अब तेरी खैर नहीं। अरविंद केजरीवाल ने जब कई बड़े नेताओं पर करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार का आरोप लगा कर जंतर मंतर पर उनकी फोटो वाला बैनर लगाया था तब जनता को लगा था कि बस यही एक ईमानदार नेता हैं जिसकी देश को जरूरत है।


केजरीवाल ने जब जनता के टैक्स से भरने वाले सरकारी खजाने से नेताओं की ऐशो आराम की जिंदगी पर सवाल उठाये थे तब देश को लगा था कि यह व्यक्ति सचमुच क्रांति ला देगा। इसलिए आम आदमी पार्टी को उसके पहले ही प्रयास में जनता ने दिल्ली की सत्ता तक पहुँचा दिया। लेकिन राजनीति को बदलने के नाम पर राजनीति में आये अरविंद केजरीवाल को जल्द ही राजनीति ने बदल दिया और अपने तौर तरीकों में ढाल लिया। सत्ता मिलते ही केजरीवाल ने सबसे पहले तो उन नेताओं से गलतबयानी के लिए माफी मांगी जिन पर उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोप लगाये थे। उसके बाद उन्होंने अपना जो रूप दिखाया वह देखकर तो पुराने से पुराना राजनीतिज्ञ भी चौंक गया।


वैगन आर जैसी सामान्य कार में चलने वाले केजरीवाल के काफिले में महंगी महंगी गाड़ियां शुमार हो गयीं, सरकारी बंगला और सरकारी सुरक्षा नहीं लेने की बात कह कर राजनीति में आये केजरीवाल ने सरकारी बंगला भी लिया और उसकी साज सज्जा पर 45 करोड़ रुपए खर्च कर नया रिकॉर्ड भी बना दिया। केजरीवाल की सुरक्षा वैसे तो दिल्ली पुलिस करती है लेकिन बताया जाता है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद से पंजाब के पुलिसकर्मी भी केजरीवाल की सुरक्षा में तैनात किये गये हैं। केजरीवाल आज चुनाव प्रचार के लिए चार्टर्ड प्लेन से जाते हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई का आलम यह है कि उनके सबसे करीबी नेता और उपमुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया शराब घोटाला मामले में जेल में हैं तो उनकी सरकार में मंत्री रहे सत्येंद्र जैन मनी लांड्रिंग मामले में साल भर से जेल में हैं। इसके अलावा केजरीवाल आज उन नेताओं से हाथ मिलाने और गठबंधन के लिए बात चलाने से भी गुरेज नहीं करते जिन पर कभी वह महाभ्रष्टाचारी होने के आरोप लगाया करते थे।

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जहां तक केजरीवाल के बंगले पर 45 करोड़ रुपए सिर्फ साज सज्जा पर खर्च होने की बात है तो इसको आम आदमी पार्टी अन्य मुख्यमंत्रियों की ओर से किये जाने वाले खर्च से बेहद कम बता रही है। लेकिन यहां सवाल किसी से ज्यादा खर्च करने या कम खर्च करने का नहीं है। यहां सवाल वादाखिलाफी का है। किसी अन्य मुख्यमंत्री ने कभी नहीं कहा था कि हम सरकारी सुविधा नहीं लेंगे। ऐसा कहने वाले सिर्फ केजरीवाल ही थे इसलिए उनसे प्रश्न पूछा ही जायेगा। दूसरा सवाल यह भी बनता है कि इतनी भारी भरकम राशि उस कोरोना काल में कैसे खर्च कर दी गयी जिस दौरान सभी अनावश्यक खर्चों पर रोक लगी हुई थी? उस समय एक तरफ दिल्ली की सरकार कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों को भोजन और आश्रय सुविधा देने में नाकाम साबित हो रही थी और उनको दिल्ली की सीमाओं पर छोड़ दे रही थी तो वहीं केजरीवाल के बंगले की साज-सज्जा पर करोड़ों रुपए खर्च किये जा रहे थे।


बहरहाल, अपने को दिल्ली का बेटा बताने वाले केजरीवाल क्या यह बताने का साहस करेंगे कि क्यों उन्होंने मुश्किल समय में अपने बंगले पर विदेशी टाइलों, महंगे पर्दों और आलीशान कालीनों पर सरकारी खजाने से हो रहे खर्च को रोका नहीं? वैसे केजरीवाल ने अपनी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक पार्टी ही नहीं बनाया है बल्कि उसको नाम के विपरीत आम से खास आदमी पार्टी भी बनाने में भी सफलता हासिल की है।


-नीरज कुमार दुबे

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