शशि थरूर ने कहा कि जाति चेतना 1950 के दशक की तुलना में आज अधिक है

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 13, 2022

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शनिवार को कहा कि आजादी के ठीक बाद के दशक की तुलना में आज के समय में भारतीय समाज में जाति की अधिक चेतना है। टाटा लिटरेचर फेस्टिवल में ‘‘आंबेडकर की खोई हुई विरासत’’ विषय पर एक परिचर्चा में थरूर ने कहा कि प्रत्येक जाति अपनी अस्मिता को लेकर सचेत है और यह अस्मिता राजनीतिक रूप से एकजुट करने का जरिया बन गई है। थरूर की पुस्तक ‘‘आंबेडकर:ए लाइफ’’का विमोचन कार्यक्रम के दौरान किया गया। यह पुस्तक डॉ भीम राव आंबेडकर की जीवनी है।

थरूर ने कहा, ‘‘आंबेडकर जाति प्रथा को पूरी तरह से खत्म करना चाहते थे और यह महसूस कर शायद वह भयभीत हो गये कि जाति प्रथा राजनीतिक दलों में कहीं अधिक गहरी जड़ें जमाई हुई है।"  तिरूवनंतपुरम के सांसद ने एक श्रोता के प्रश्न का उत्तर देते हुए यह उल्लेख किया कि भेदभाव या छूआछूत के विरोधी राजनीतिक दल जाति के नाम पर वोट नहीं मांगते। उन्होंने कहा जाति प्रथा खत्म होने से कोसों दूर है।

थरूर ने कहा कि आंबेडकर और जवाहरलाल नेहरू, दोनों ही चाहते थे कि भारत से जाति प्रथा खत्म हो जाए तथा नेहरू ने सोचा कि आधुनिकीकरण के साथ यह खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आंबेडकर ने जाति प्रथा को खत्म करने के लिए लड़ाई लड़ी क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि जब तक जाति प्रथा की चेतना मौजूद रहेगी, उत्पीड़न भी होता रहेगा। उन्होंने कहा कि जाति अखबारों के वैवाहिक पृष्ठों की एक मुख्य विशेषता है।

प्रमुख खबरें

RCB vs GT IPL 2024: रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू ने गुजरात टाइटंस को 4 विकेट से हराया, प्लेऑफ की उम्मीदें बरकरार

Porn Star से जुड़े मामले में Trump की पूर्व करीबी सलाहकार होप हिक्स बनीं गवाह

कनाडाई पुलिस ने Nijjar की हत्या के तीन संदिग्धों को गिरफ्तार किया: मीडिया की खबर

लगातार कम स्कोर वाली पारियों के दौरान सही लोगों के बीच में रहने की कोशिश कर रहा था: Jaiswal