By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 19, 2022
दिल्ली सरकार ने योजना के बचाव में कहा था कि इस योजना का उद्देश्य उन गरीबों को लाभ पहुंचाना था जिन्हें उचित मूल्य की दुकानों (एफपीएस) के मालिक घर तक राशन पहुंचाने के विकल्प को छोड़ने के लिए धमकाते हैं। आम आदमी पार्टी ने पहले कहा था कि यह धारणा पूरी तरह गलत है कि योजना लागू होने से उचित मूल्य की दुकानें खत्म हो जाएंगी। दिल्ली सरकार ने कहा था कि आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और कर्नाटक के बेंगलुरु में घर-घर राशन पहुंचाने की योजनाएं चल रही हैं।
केंद्र सरकार की वकील मोनिका अरोड़ा ने दिल्ली सरकार की योजना का विरोध करते हुए कहा कि इस योजना के क्रियान्वयन से राज्य, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) की संरचना के प्रभाव को कम कर सकता है। अरोड़ा ने दलील दी थी कि अदालत को किसी भी राज्य सरकार को एनएफएसए की संरचना में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं देना चाहिए और एफपीएस इस कानून का एक अविभाज्य अंग है। केंद्र ने कहा था कि एनएफएसए के अनुसार, राज्यों को अनाज दिया जाता है जो उन्हें भारतीय खाद्य निगम के गोदामों से लेना होता है और उचित मूल्य की दुकानों को देना होता है ताकि वे लाभार्थियों को उसका वितरण कर सकें।