विपक्ष ने कहा सोशल मीडिया पर रोक लगाओ, सरकार का जवाब- नहीं लगाएंगे

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 26, 2018

नयी दिल्ली। सोशल मीडिया के मंचों पर घृणा, हिंसा, अपराध और आतंकवाद की घटनाओं को बढ़ावा दिये जाने की प्रवृति पर राज्यसभा में विभिन्न दलों के सदस्यों ने चिंता जताते हुए इस पर रोक लगाने की आवश्यकता पर बल दिया। हालांकि, सरकार की ओर से कहा कि वह नागरिकों की अभिव्यक्ति के अधिकार के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन सोशल मीडिया मंचों को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि इनका इस्तेमाल आतंकवाद, चरमपंथ, हिंसा और अपराध को बढ़ावा देने के लिए नहीं किया जाए।

सोशल मीडिया मंचों के दुरूपयोग के विषय पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अपने बयान में कहा कि सरकार भारत के संविधान के अनुरूप अपने नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं निजता के अधिकार के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि उन्होंने कहा, ‘सरकार सोशल नेटवर्क मंच पर आने वाली विषय वस्तु का नियमन नहीं करती है।’

प्रसाद ने कहा कि सोशल नेटवर्किंग साइटों को सूचना प्रौद्योगिकी कानून 2000 एवं उसके नियमों के तहत उपयुक्त कार्रवाई करनी चाहिए। ‘उन्हें भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(2) का पालन करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका इस्तेमाल आतंकवाद, चरमपंथ, हिंसा और अपराध को बढ़ावा देने के लिए नहीं होना चाहिए।’ उन्होंने देश में सोशल मीडिया मंचों के बढ़ते प्रयोग का उल्लेख करते हुए कहा कि देश में मार्च 2018 तक 19.4 करोड़ फेसबुक यूजर, 2.6 करोड़ ट्विटर यूजर, 4.2 करोड़ यूट्यूब यूजर और फरवरी 2018 तक 20 करोड़ व्हाट्स एप यूजर थे।

 

उन्होंने हाल में उपजे केम्ब्रिज एनेलिटिका विवाद सहित सोशल मीडिया मंचों पर नियमों का उल्लंघन करने वाले मामलों में सरकार द्वारा की गयी कार्रवाई का विस्तृत विवरण दिया। इस मुद्दे पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगते हुए भाजपा के वी मुरलीधरन ने कहा कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार आईटी क्षेत्र और नागरिकों के डिजिटल सशक्तीकरण पर काफी ध्यान दे रही है। लेकिन देश में कुछ ताकतें हैं जो अशांति और हिंसा करवाना चाहती हैं और वे इन मंचों का दुरूपयोग कर रही हैं।

 

उन्होंने कहा कि गत 16 अप्रैल को केरल में हड़ताल के दौरान कुछ लोगों ने सोशल मीडिया का दुरूपयोग करते हुए अफवाहें फैलाईं, जिससे राज्य में हिंसा की घटनाएं हुईं। मुरलीधरन ने कहा कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल कुछ लोग अपने राजनीतिक विरोधियों की छवि बिगाड़ने के लिए कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ नेता आए दिन इस तरह के ट्वीट करते हैं और फिर उन्हें वापस ले लेते हैं।

 

भाजपा सदस्य ने कहा कि ऐसे मामलों में राजनीतक नेताओं को संयम बरतना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि भारत जैसी सभ्यता में सोशल मीडिया के जरिये हिंसा की घटनाओं को बढ़ावा दिया जाना, शर्म की बात है। उन्होंने कहा कि पिछले साल की तुलना में इस तरह की घटनाओं में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि देश में पीट पीटकर मार डालने की घटनाओं में वृद्धि हुई है।

 

आजाद ने कहा कि कुछ ऐसे मामले भी हुए जिनमें पहले लोगों ने सोशल मीडिया के जरिये अफवाहों को फैलाया और फिर स्वयं घटना को अंजाम दिया। उन्होंने कहा कि एक केन्द्रीय मंत्री नवादा जेल में हिंसा की घटना के आरोपियों से मिलने गये। उन्होंने कहा कि विदेश में पढ़े एक अन्य केन्द्रीय मंत्री ने इन घटनाओं के आरोपी और जमानत पर छूट कर आये लोगों को मालाएं पहनाकर स्वागत किया।

 

आजाद ने सरकार से सवाल किया कि क्या वह ऐसी घटनाओं में शामिल अपने मंत्रियों, सांसदों एवं विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे? राजद के मनोज कुमार झा ने कहा कि सोशल मीडिया पर दुश्मनी की जुबान को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज यह स्थिति हो गयी है कि सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों तक को ट्रोल किया जाता है। उन्होंने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि शाब्दिक हिंसा की परिणति शारीरिक हिंसा में होती है।

 

भाकपा के डी राजा ने कहा कि हमारे देश में आज एक अभूतपूर्व स्थिति बन गयी है। सोशल मीडिया पर सामाजिक तनाव और घृणा को प्रोत्साहन देना एक चलन बन गया है। सोशल मीडिया पर राजनीतिक विरोधियों को धमकाया और बदनाम किया जा रहा है।

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