By टीम प्रभासाक्षी | Aug 07, 2021
विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान बने हिस्से से पहाड़ी राज्य में प्रवास करने वाले बंगाली समूह के 3.5 लाख से अधिक लोगों ने राहत की सांस ली है, उनकी पुरानी मांग को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री द्वारा मान ली गई है। उन्हें जारी किए गए जाति प्रमाण पत्र पर पूर्वी पाकिस्तान का मुहर अब हटा दिया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मैं अपने गृह जिला उधम सिंह नगर के लोगों की समस्याओं से अवगत हूं। यह लंबे समय से लंबित मांग है। अगले 12 महीनों में राज्य में चुनाव होने वाले है, ऐसे में यह फैसला राज्य की भाजपा सरकार की बंगाली मतदाताओं के बीच अपना आधार मजबूत करने में मदद करेगा।
इससे पहले धामी ने सितारगंज से भाजपा विधायक सौरभ बहुगुणा और विस्थापित बंगाली समूह के सदस्यों के साथ चर्चा की थी। बहुगुणा ने कहा कि यह शर्म की बात है कि पूर्वी पाकिस्तान का अभी भी जाति प्रमाण पत्र में उल्लेख किया जा रहा है। पड़ोसी उत्तर प्रदेश ने लगभग 15 साल पहले इसे चलन को बंद कर दिया था। 2018 में भी हमने तत्कालीन सीएम से संपर्क किया था, लेकिन बैठक का सार्थक नतीजा नहीं निकला। 1956 और 1970 के बीच लाखों बंगाली परिवार उत्तराखंड चले गए थे, जिनमें से कई खुलना, जेसोर और फरीदपुर के सीमावर्ती इलाकों में बस गए थे। ऊधमसिंह नगर में ज्यादा संख्या थी। ये लोग लंबे समय से जाति प्रमाण पत्र से स्टाम्प को हटाने के लिए लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
यहां लोगों ने बताया कि उनकी लंबी लंबी लड़ाई आखिरकार समाप्त हो गई है। 1964 में नोआखली से रुद्रपुर आए एक व्यवसायी उत्तम दत्ता ने कहा कि सिर्फ हमारे पूर्वजों के प्रमाणपत्र पर यह टैग नहीं था, यहां तक कि भारत में पैदा हुए मेरे जैसे लोगों के जाति दस्तावेजों पर भी मुहर थी। दत्ता ने कहा कि उन्हें राहत मिली कि उनकी आने वाली पीढ़ियों को शर्मिंदा नहीं होने पड़ेगा। बंगाली कल्याण समिति के उपाध्यक्ष संजय बचर ने कहा कि यह हमारे समुदाय पर एक धब्बा था और हमें राहत है कि सरकार इसे दूर कर देगी।