By अभिनय आकाश | Dec 29, 2025
भारत की तीनों सेनाओं की सुप्रीम कमांडर महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इतिहास में अपना नाम जोड़ लिया है और भारत में कुछ ऐसा करने वाली वह दूसरी राष्ट्रपति बन गई। दरअसल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कर्नाटक के कारवार नौसैनिक अड्डे पर एक पनडुब्बी सौटी की। इसके लिए राष्ट्रपति आईएनएस वाकशीर में सवार हुई जो भारतीय नौसेना की स्वदेशी कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी है। इसके साथ ही वह पनडुब्बी में यात्रा करने वाली भारत की दूसरी राष्ट्रपति बन गई हैं। इससे पहले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने फरवरी 2006 में विशाखापट्टनम से बंगाल की खाड़ी में पनडुब्बी यात्रा की थी। इस सीसटी के दौरान नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी भी राष्ट्रपति के साथ मौजूद रहे।
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू देश की सशस्त्र सेनाओं की सर्वोच्च कमांडर भी हैं और उनकी यह यात्रा कई मायनों में खास है। राष्ट्रपति नौसेना की वर्दी पहनकर पनडुब्बी में पहुंचीं। P75 स्कॉर्पीन प्रोजेक्ट की छठी और अंतिम पनडुब्बी INS वाघषीर को जनवरी में नौसेना में शामिल किया गया था। राष्ट्रपति मुर्मू ने 29 अक्टूबर को अंबाला एयरफोर्स स्टेशन से राफेल में उड़ान भरी थी। उनके विमान की पायलट स्क्वॉड्रन लीडर शिवांगी सिंह थीं।
आईएएस वाकशीर की जिस सबमरीन में राष्ट्रपति ने सीसटी को अंजाम दिया है। आईएएस वाकशीर एक डीज़ल इलेक्ट्रिक स्कर्पियन कर्ववर क्लास की सबमरीन है। इसमें आधुनिक नेविगेशन और ट्रैकिंग सिस्टम से लैस है यह सबमरीन। इस सबमरीन को साइलेंट किलर कहा जाता है। यह पनडुब्बी 50 दिनों तक पानी के अंदर रह सकती है और 350 फीट की गहराई तक जा सकती है। इस पनडुब्बी में छह टारपिडो ट्यूब्स हैं जिनसे 18 टॉर्पिडो या SM39 एक्सोसेट मिसाइल दागी जा सकती है। इसके अलावा यह समुद्र में 30 बारूदी सुरंगे भी बिछा सकती है। इस सबमरीन में चार एमtयू डीजल इंजन और 660 बैटरी सेल्स लगे हैं। सतह पर इसकी स्पीड 20 कि.मी./घंटा और पानी के अंदर करीब 37 कि.मी./घंटा है। यह सबमरीन प्रोजेक्ट 75 के तहत बनी छठी और आखिरी पनडुब्बी है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने इससे पहले अक्टूबर महीने में वायुसेना के घातक लड़ाकू विमान राफेल में भी उड़ान भरी थी। तीनों सेनाओं की सुप्रीम कमांडर का ऐसे सैनिकों से जाकर मिलना और उनकी तैयारियों का जायजा लेना भारत की सतर्कता का एक सांकेतिक प्रतीक है।