राष्ट्रपति मुर्मु ने राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार प्रदान किए, कहा— कला हमारे अतीत, वर्तमान और भविष्य का सेतु है

राष्ट्रपति ने भारतीय हस्तशिल्प की गौरवशाली परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारे कारीगरों की अटूट प्रतिबद्धता और सृजनशीलता ने इस विरासत को सदियों से जीवित रखा है। समय के साथ तकनीक और मांग बदलती रहीं, पर कारीगरों ने अपनी मूल भावना और मिट्टी की महक को हर रचना में संजोए रखा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज नई दिल्ली में वर्ष 2023 और 2024 के राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार प्रदान करते हुए कहा कि कला केवल सौंदर्य का माध्यम नहीं, बल्कि हमारे अतीत की स्मृतियों, वर्तमान की अनुभूतियों और भविष्य की आकांक्षाओं का जीवंत पुल है। उन्होंने कहा कि मनुष्य ने प्राचीन काल से ही चित्रकला और मूर्तिकला के माध्यम से अपने विचारों और भावनाओं को अभिव्यक्ति दी है। उन्होंने कहा कि कला न केवल संस्कृति से जोड़ती है, बल्कि लोगों के बीच सामाजिक एवं भावनात्मक संबंधों को भी मजबूत बनाती है।
राष्ट्रपति ने भारतीय हस्तशिल्प की गौरवशाली परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारे कारीगरों की अटूट प्रतिबद्धता और सृजनशीलता ने इस विरासत को सदियों से जीवित रखा है। समय के साथ तकनीक और मांग बदलती रहीं, पर कारीगरों ने अपनी मूल भावना और मिट्टी की महक को हर रचना में संजोए रखा।
उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प केवल सांस्कृतिक पहचान का दर्पण ही नहीं, बल्कि देश की आजीविका का भी एक मज़बूत स्तंभ है। यह क्षेत्र आज 32 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान कर रहा है, जिनमें अधिकांश ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों से आते हैं। रोजगार एवं आय का यह विकेंद्रीकरण समावेशी विकास की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि सामाजिक सशक्तिकरण में भी हस्तशिल्प की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। पारंपरिक रूप से यह क्षेत्र वंचित तबकों के लोगों की आजीविका का आधार रहा है। उन्होंने गर्व के साथ उल्लेख किया कि हस्तशिल्प क्षेत्र में 68 प्रतिशत महिलाएँ कार्यरत हैं, और इस क्षेत्र का विकास महिलाओं के आर्थिक व सामाजिक सशक्तिकरण को और गति देगा।
पर्यावरणीय दृष्टि से हस्तशिल्प की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि यह उद्योग स्थानीय एवं प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित होने के कारण अधिक टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल है। दुनिया भर में टिकाऊ जीवनशैली की बढ़ती आवश्यकता के बीच, भारतीय हस्तशिल्प वैश्विक स्तर पर स्थायित्व का मजबूत उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है।
उन्होंने भारतीय हस्तशिल्प उत्पादों को मिल रहे जीआई टैग को अंतरराष्ट्रीय पहचान का महत्वपूर्ण साधन बताते हुए सभी हितधारकों से अपने विशिष्ट उत्पादों के लिए जीआई टैग प्राप्त करने का आग्रह किया। साथ ही उन्होंने कहा कि ‘एक ज़िला, एक उत्पाद’ (ODOP) पहल ने भी क्षेत्रीय हस्तशिल्प की वैश्विक पहचान को नई मजबूती दी है।
अपने संबोधन के अंत में राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि भारतीय कारीगरों के ज्ञान, समर्पण और परिश्रम ने विश्वभर में भारतीय हस्तशिल्प की एक अलग पहचान स्थापित की है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस क्षेत्र में मांग और संभावनाओं का दायरा लगातार बढ़ रहा है, जो युवा उद्यमियों और डिज़ाइनरों के लिए नए अवसरों के द्वार खोलता है।
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