By रितिका कमठान | Sep 29, 2023
दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान (डीएससीआई) में तत्काल सर्जरी की आवश्यकता वाले सैकड़ों कैंसर रोगियों की जान खतरे में बनी हुई है। विभाग की लापरवाही की सजा कई मरीजों को भुगतनी पड़ रही है। मरीजों को इलाज में देरी का सामना करना पड़ रहा है जो उनकी जान के लिए बेहद खतरनाक है।
दरअसल दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान में संकाय, रेजिडेंट डॉक्टरों और प्रशिक्षित तकनीशियनों की भारी कमी देखने को मिल रही है। विभाग में विभिन्न कर्मचारियों की कमी के कारण मरीजों का ऑपरेशन नहीं हो पा रहा है। इसी कड़ी में एक 36 वर्षीय महिला, जिसे डिम्बग्रंथि के कैंसर का पता चला है। महिला को बीमारी के शुरुआती स्टेज में ही सर्जरी की जरुरत थी। कई टेस्ट किए जाने के बाद महिला को सर्जरी कराने के लिए कहा गया लेकिन डीएससीआई ने उसे ऑपरेशन के लिए कोई तारीख नहीं दी है।
महिला को अस्पताल से ऑपरेशन की तारीख नहीं मिलने पर उसने जीटीबी अस्पताल में स्त्री-ऑन्कोलॉजी सर्जन से परामर्श किया। इसके बाद महिला को जो जानकारी मिली उससे उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। महिला की बीमारी इतने समय में अधिक बढ़ गई थी, जिस कारण अब उसका ऑपरेशन करना भी संभव नहीं था। इस मामले में डॉक्टरों का कहना है कि ऐसी सर्जरी समय रहते करानी चाहिए, नहीं तो संक्रमण दूसरे चरण में जा सकता है। समय पर इलाज ना मिलने पर बीमारी इतनी अधिक बढ़ सकती है कि लाइलाज भी हो सकती है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, जो मरीज सरकारी अस्पताल में उपचार उपलब्ध नहीं होने या देरी होने की स्थिति में दिल्ली आरोग्य कोष (डीएके) के तहत सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में से किसी में "मुफ्त सर्जरी" के लिए पात्र हैं, उन्हें अस्पताल द्वारा रेफर नहीं किया जा रहा है। अन्य सुविधाएं क्योंकि अधिकारी कथित तौर पर रिकॉर्ड पर रेफर किए जाने वाले मरीजों की संख्या को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।
इतने पद हैं खाली
टीओआई के पास दिल्ली सरकार के आंकडे़ भी उपलब्ध हैं जिनसे पता चला है कि विभाग में कुल 113 पद हैं, जिनमें से कुल 106 पद खाली पड़े है। रेजिडेंट डॉक्टर के कुल 169 पद स्वीकृत है जिसमें से 91 रेजिडेंट डॉक्टर के पद खाली पड़े हुए है। वहीं अगर पैरामेडिकल स्टाफ की बात करें तो 167 सीक्रेट पद है जिनमें से सिर्फ 87 पदों पर ही नियुक्तियां की गई है। विभाग में नर्स की कुल 198 पद स्वीकृत है जबकि 103 पद पर ही नर्स काम कर रही है। बता दें कि दिल्ली सरकार ने अगस्त के महीने में यह जानकारी साझा की थी। कर्मचारियों की भारी कमी के कारण सर्जरी होने की संख्या में भी भारी गिरावट आई है। वर्ष 2018 में दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टिट्यूट में 9896 सर्जरी की गई थी जबकि वर्ष 2022 में यह आंकड़ा गिरकर 1575 पर पहुंच गया था। गैस्ट्रो, रिकंस्ट्रक्टिव, हड्डी और सॉफ्ट टिश्यू, सिर और गर्दन, न्यूरो और यूरो ऑन्कोलॉजी की सर्जरी वर्षों से नहीं हुई हैं।
सीनियर रेजिडेंट के बिना हो रही हैं सर्जरी
अस्पताल में आम तौर पर मरीज ठीक होने और डॉक्टर पर पूर्ण विश्वास के साथ जाता है। मगर दिल्ली कैंसर इंस्टीट्यूट में हाल बिलकुल अलग है। जानकारी के मुताबिक अब जो सर्जरी की जा रही है वह सीनियर रेजिडेंट की निगरानी के बिना हो रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि विभाग में कोई सीनियर रेजिडेंट नहीं है। सूत्रों ने कहा कि 2011 के बाद से कम से कम 4-5 बार फैकल्टी पदों का विज्ञापन दिया गया, लेकिन कोई नियुक्ति नहीं की गई। डीएससीआई की निदेशक डॉ. वत्सला अग्रवाल ने भी माना कि संस्थान में कई वर्षों से सर्जरी नहीं हुई हैं। उन्होंने कहा कि अगले महीने तक हम हालात सुधार कर सर्जरी दोबारा शुरू करने की दिशा में काम करेंगे।
बता दें कि वर्ष 2009 के बाद से दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में 24 फैकल्टी सदस्यों की भर्ती की गई है। मगर 18 कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ दी है जिसके पीछे नौकरी का कॉन्ट्रैक्चुअल होना अहम वजह माना गया है। वहीं संस्थान के नियमों को लेकर भी कर्मचारियों ने काफी असंतोष व्यक्त किया है।