सूर्यग्रहण भारत में कहाँ दिखाई देगा ? ग्रहण काल के दौरान क्या करना चाहिए ?

By शुभा दुबे | Jun 09, 2021

साल 2021 का पहला सूर्यग्रहण 10 जून को पड़ रहा है। महामारी से जूझते लोगों के मन को आजकल तमाम आशंकाएं घेरे रहती हैं इसलिए पंडितों के पास ऐसे लोगों के बहुत फोन आ रहे हैं जो यह जानना चाहते हैं कि सूर्यग्रहण का उनकी राशि पर क्या असर पड़ने वाला है। लोगों के मन में शंकाओं को देखते हुए कई लोग उसका गलत फायदा भी उठाते हैं लेकिन यहाँ यह समझने की जरूरत है कि सूर्यग्रहण भारत में आंशिक रूप से ही कुछ क्षणों के लिए दिखाई देगा और जब ग्रहण आंशिक हो तो उसका कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता। भारत में सूर्यग्रहण भारत-चीन सीमा क्षेत्र के ही कुछ हिस्सों में दिखेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस सूर्यग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा क्योंकि उसी ग्रहण का सूतक काल मान्य होता है जो अपने यहाँ दृष्टिगोचर हो।


कब और कहाँ दिखेगा सूर्यग्रहण


बताया जा रहा है कि 10 जून को पड़ने वाला सूर्य ग्रहण भारत में केवल अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख के कुछ हिस्सों में ही सूर्यास्त से कुछ समय पहले दिखाई देगा। यह वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा और यह खगोलीय घटना तब होती है जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में आ जाते हैं। सूर्य ग्रहण भारत में अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख के कुछ हिस्सों में ही नजर आयेगा। अरुणाचल प्रदेश में दिबांग वन्यजीव अभ्यारण्य के पास से शाम लगभग 5:52 बजे इस खगोलीय घटना को देखा जा सकेगा। वहीं, लद्दाख के उत्तरी हिस्से में, जहां शाम लगभग 6.15 बजे सूर्यास्त होगा, शाम लगभग छह बजे सूर्य ग्रहण देखा जा सकेगा। उत्तरी अमेरिका, यूरोप और एशिया के कई हिस्सों में सूर्य ग्रहण देखा जा सकेगा। भारतीय समयानुसार पूर्वाह्न 11:42 बजे आंशिक सूर्य ग्रहण होगा और यह अपराह्न 3:30 बजे से वलयाकार रूप लेना शुरू करेगा तथा फिर शाम 4:52 बजे तक आकाश में सूर्य अग्नि वलय (आग की अंगूठी) की तरह दिखाई देगा। सूर्यग्रहण भारतीय समयानुसार शाम लगभग 6:41 बजे समाप्त होगा।

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सूर्यग्रहण के दौरान क्या करें?


पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि ग्रहण काल में मन ही मन भगवान का ध्यान करना चाहिए। इसलिए यदि सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य देव की मन में उपासना करें तो आप किसी भी प्रकार के अनिष्ट से बचे रहेंगे। भगवान श्री सूर्य समस्त जीव-जगत के आत्मस्वरूप हैं। वह अखिल सृष्टि के आदि कारण हैं। इन्हीं से सब की उत्पत्ति हुई है। वेदों में तो सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है। सूर्य से ही इस पृथ्वी पर जीवन है। श्रीमद्भागवत पुराण में कहा गया है- भूलोक तथा द्युलोक के मध्य में अन्तरिक्ष लोक है। इस द्युलोक में सूर्य भगवान नक्षत्र तारों के मध्य में विराजमान रह कर तीनों लोकों को प्रकाशित करते हैं। 


सूर्योपासना विधि


मान्यता है कि सूर्य की उपासना से लंबी आयु का वरदान भी हासिल किया जा सकता है। वैदिक सूक्तों, पुराणों तथा आगम आदि ग्रंथों में भगवान सूर्य की नित्य आराधना का निर्देश है। इनके साथ सभी ग्रह, नक्षत्रों की आराधना भी अंगोपासना के रूप में आवश्यक होती है। मंत्र−महादधि, श्रीविद्यार्णव आदि कई ग्रंथों को देखने से उनके जपनीय मंत्र मुख्य रूप से दो प्रकार के मिलते हैं। प्रथम मंत्र है− ओम घृणि सूर्य आदित्य ओम' तथा द्वितीय मंत्र है− ओम ह्रीं घृणि सूर्य आदित्यः श्रीं ह्रीं मह्मं लक्ष्मीं प्रयच्छ'। इस मंत्र का मूल तैत्तिरीय शाखा के नारायण−उपनिषद में प्राप्त है, जिस पर विद्यारण्य तथा सायणाचार्य− दोनों के भाष्य प्राप्त हैं। इनकी उपासना में इनकी 9 पीठ शक्तियों− दीप्ता, सूक्ष्मा, जया, भद्रा, विभूति, विमला, अमोघा, विद्युता एवं सर्वतोमुखी की भी पूजा की जाती है।

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ग्रहण समाप्त होने के बाद क्या करें


वैसे तो सूर्यग्रहण भारत में आंशिक रूप से ही दिखाई देगा लेकिन फिर भी आप चाहें तो घर के मंदिर और प्रवेश द्वारों पर गंगा जल का छिड़काव करें। इसके बाद भगवान को शुद्ध जल से स्नान करा कर मीठे का भोग लगाएं और घी का दीया जलाकर आरती करें। आरती को घर के हर कमरे और कोनों में ले जाएं और भगवान से सभी को सकुशल रखने और सुख-शांति बनाए रखने की प्रार्थना करें।


-शुभा दुबे

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