प्रयाग कुंभ मेले में जैविक खेती पर जनजागरुकता अभियान चलाएगा स्वदेशी जागरण मंच

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 30, 2018

इलाहाबाद। सामाजिक और राजनीतिक संगठन अलग अलग तरीके से, अगले साल यहां होने वाले कुंभ मेले में अपनी भूमिका सुनिश्चित कर रहे हैं और स्वदेशी जागरण मंच भी इससे अछूता नहीं है। मेले में आने वाले किसानों को ध्यान में रखते हुए मंच इस दौरान जैविक खेती पर जनजागरूकता बढ़ाने के लिए व्यापक गतिविधियां चलाएगा। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की इकाई स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉक्टर निरंजन सिंह ने विशेष बातचीत में कहा “हम प्रयाग कुंभ मेले का उपयोग जनजागरूकता के मंच के तौर पर करेंगे। मेले में 80-90 प्रतिशत किसान आते हैं। हम उनके बीच जैविक खेती को लेकर जागरूकता फैलाएंगे।” 

 

उन्होंने कहा, “इस बार कुंभ में हमारा प्रमुख विषय होगा “तब खादी, अब खाद।’’ रासायनिक खाद और कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से खेत बंजर हो रहे हैं। इसलिए विदेशी खाद और कीटनाशक पर निर्भरता घटाने की जरूरत है।” सिंह ने कहा कि स्वदेशी जागरण मंच इस मेले में कई विचार गोष्ठियों का आयोजन करेगा जिसमें देश के जाने माने विद्वान आएंगे। इनमें स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक और गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति भगवती प्रकाश शर्मा और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अश्वनी महाजन शामिल हैं।

 

उन्होंने कहा कि मेले में नदियों और भूजल को बचाने के लिए भी गोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। वर्ष 2013 के प्रयाग कुंभ में स्वदेशी जागरण मंच ने ग्लोबल वार्मिंग को मुख्य विषय बनाया था। सिंह ने कहा कि इस बार मेले में स्वदेशी चिकित्सा पर भी कार्यक्रम किए जाएंगे और कई जाने माने वैद्य स्वदेशी चिकित्सा के बारे में लोगों को जागरूक करेंगे। इसके अलावा, पर्यावरण के मुद्दे पर भी सत्र आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने केंद्र की व्यापार नीति को लेकर स्वदेशी जागरण मंच के रुख के बारे में कहा, “स्वदेशी के मुद्दे पर हर सरकार के साथ हमारा संघर्ष रहा है। ये अलग बात है कि केंद्र में भाजपा की सरकार से हम अपनी बात काफी हद तक मनवा लेते हैं।” 

 

सिंह ने दावा किया कि उनके ही प्रयास से देश में अब चीनी पटाखे आने बंद हो गए हैं और शिवकाशी का पटाखा उद्योग फिर से जीवित हो गया है। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि रिटेल में एफडीआई के खिलाफ "संघर्ष अब भी जारी है।” उन्होंने कहा कि ई कॉमर्स के जरिए विदेशी कंपनियां पहले से ही खुदरा व्यापार पर कब्जा करने का परोक्ष रूप से प्रयास कर रही हैं। इस बीच, केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति दे दी है जो छोटे व्यापारियों के हित में नहीं है।

 

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