हम शिक्षक तो मुफ़्त की तनख़्वाह पाते हैं... आज गुरू बन गये मजदूर

By रेनू तिवारी | Sep 05, 2018

साल भर अपने काम को लेकर इतना आदर मिलता है कि इस एक दिन के दिया-बाती, आराधना-अर्चन से खानापूर्ति करना मुश्किल-सा है, फिर भी आप कहते हैं तो मान लेती हूँ कि आप जिस समाज में रहते हैं वहाँ वाक़ई इस पेशे को लेकर आपके मन में सम्मान है। 

मान लेती हूँ कि आप उनमें से नहीं जो, बच्चे की किसी मासूम सी शिकायत पर, प्रशासन को दी हुई फ़ीस से तोल कर आध्यापक को बौना बनाते होंगे। मान लेती हूँ कि आप ऐसा नहीं सोचते की हम लोग कुछ नहीं करते-धरते, आधा दिन में पूरी तनख़्वाह बटोर कर मज़े मारते हैं।मान लेती हूँ कि आप उन्हीं में से हैं जो टीचर को भगवान टाइप नहीं, एक मेहनती इंसान के रूप में देखते हैं। 

इस सोच का जवाब और हमारा अपने काम के प्रति ईमानदारी का जवाब हैं, हमारे विद्यार्थी। जब जब वो ज़िंदगी की ऊँचाइयों को छूते हैं, हमारा क़द कुछ और बढ़ जाता है।

मेरा सलाम अपने उन विद्यार्थियों को जिन्होंने किताबों की दुनिया से सही समझ को हासिल  कर अपनी राह बनायी। 

ये कहना है दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेज मिरांड़ा हाउस की प्रोफेसर अपराजिता शर्मा का, उनकी ये नाराजगी पूरी तरह से जायज हैं क्योंकि आज शिक्षक की जगह पूरी तरह से बदल गई है। आज टीचर गुरू न होकर एक मजदूर बन गया है जिसे मजदूरी देने वाले के हिसाब से काम करना पड़ रहा है। हालात तो ऐसे हैं कि अगर आज स्कूल या कॉलेज में बच्चों को डांट दिया जाए तो परिवार के लोग टीचर को धमकी देने आ जाते हैं।

बच्चों का भी टीचर के प्रति काफी बचकाना रवैया होता हैं, कई सारी खबरें आती हैं कि स्कूल कॉलेजों में टीचर की बच्चों ने पिटाई कर दी। आपको बता दे की स्कूली बच्चों द्वारा स्कूल परिसर में टीचरों के प्रति अपराध इस बढ़ता ही जा रहा है कुछ दिन पहले ही एक सन्न कर देने वाला मामला हरियाणा से सामने आया था कि 12वीं में पढ़ने वाला एक छात्र स्कूल से निष्कासित किए जाने से इतना नाराज हुआ था और  उसने अपनी प्रिंसिपल की गोली मारकर हत्या कर दी थी वारदात हरियाणा के यमुनानगर में एक निजी स्कूल परिसर के अंदर घटी थी। स्कूल में पैरेंट्स मीटिंग थी। आरोपी छात्र शिवांश पैरेंट्स मीटिंग में अपने पिता की रिवॉल्वर लेकर पहुंचा था। उसने प्रिंसिपल ऋतु छाबड़ा पर अपने पिता की रिवॉल्वर से ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी। ऐसा भी मामले है जहां पर शिक्षक की क्रूरता भी देखी गई हैं लेकिन इन अपवादों को अगर अनदेखा किया जाअ तो शिक्षक का स्तर आज वो नहीं है तो पहले होता था।

बदलते लाइफ स्टाइल के चलते आज बच्चों के माता-पिता ज्यादातर कामकाजी हैं सभी ऑफिस जाते ऐसे में अगर स्कूल टीचर होमवर्क ज्यादा दे तो परिवारवाले शिकायत करने आ जाते हैं कि बच्चों को इतना काम क्यों दिया जा रहा है। आज बच्चे टीचर्स के बदतमीजी करते है और चाह कर भी टीचर्स चुप रह जाते हैं क्योंकि टीचर्स के हालात ही इस देश में इतने बदतर हैं। 

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