भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण चंडीगढ़ की टीम दो दिवसीय सिरमौर दौरे पर, भूस्खलन का करेगी अध्ययन

By विजयेन्दर शर्मा | Aug 03, 2021

नाहन। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण चंडीगढ़ के भूवैज्ञानिकों की एक तीन सदस्य टीम सिरमौर जिला के शिलाई विधानसभा क्षेत्र में गत 30 जुलाई को पांवटा साहिब-शिलाई-हाटकोटी राष्ट्रीय राजमार्ग 707 पर हुए भूस्खलन का अध्ययन करने के लिए दो दिवसीय दौरे पर आज पहुंची है।इस बारे में जानकारी देते हुए उपायुक्त सिरमौर राम कुमार गौतम ने बताया कि यह टीम मंगलवार और बुधवार को भूस्खलन स्थल का अध्ययन करेगी और बुधवार दोपहर में उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत करवाएगी।इस टीम में निदेशक इंजीनियरिंग भूविज्ञान मनोज कुमार, भूविज्ञानी पी0 जगन और सहायक भूविज्ञानी ए0 पुनिया शामिल हैं।

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उपायुक्त ने लोगों से बरसात के मौसम में अपने घरों में रहने और गैर जरूरी यात्राएं स्थगित करने तथा नदी नालों से दूर रहने का आह्वान किया है।जिले में एक बार फिर पहाड़ दरक गया है। जिले में पिछले एक सप्ताह से रुक-रुक कर हो रही बारिश के कारण जगह-जगह पर भूस्खलन से कई मार्ग बाधित हो रहे हैं। मंगलवार सुबह रेणुका-संगड़ाह मार्ग ददाहू से एक किलोमीटर आगे भूस्खलन से पूरी तरह बंद हो गया। जानकारी के अनुसार सुबह यहां जेसीबी मशीन मलबे को हटा रही थी। इसी दौरान अचानक पहाड़ी दरकने लगी। उधर, प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र परवाणू में रिटेनिंग वॉल टूटने से मलबा होटल की छत पर गिर गया। इससे होटल की छत पर बना कमरा टूट गया और सोये हुए तीन कर्मी चपेट में आ गए। हादसे में एक कर्मी की मौत हो गई है। जबकि अन्य दो कर्मियों को ईएसआई परवाणू में उपचार के लिए भर्ती किया गया है। हादसे के कारण होटल को भी नुकसान हुआ है। 

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मौसम विभाग ने तीन दिन भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने प्रदेश के मैदानी व मध्य पर्वतीय भागों में चार, पांच और सात अगस्त को भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। प्रदेश के ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, चंबा, कांगड़ा, मंडी, शिमला, सोलन और सिरमौर जिले के लिए भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है।प्रदेश में नौ अगस्तत तक मौसम खराब रहने का अनुमान है। उधर, येलो अलर्ट के बीच राजधानी शिमला में मंगलवार दोपहर के समय झमाझम बारिश हुई। मौसम विभाग के अनुसार लगातार बारिश से भूस्खलन और पेड़ गिरने का खतरा है। स्थानीय लोगों व सैलानियों को नदी-नालों से दूर रहने की सलाह दी गई है, क्योंकि अचानक जल स्तर बढ़ने से मुश्किलें पैदा हो सकती हैं।

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