By अभिनय आकाश | Jun 19, 2025
लश्कर के गठन के पीछे वैसे तो बहुत सारे कारण थे। लेकिन प्रमुख कारणों में से एक जम्मू कश्मीर को आजाद कराना और यहां इस्लामी शासन स्थापित करना था। साल 2001 में संसद पर हुए अटैक के बाद पाकिस्तान ने लश्कर ए तैयबा पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद हाफिज सईद ने मरकज़ दावा-वल-इरशाद को भंग कर दिया। इसके बाद उस संगठन के नाम से काम करना शुरू कर दिया जिससे इसकी शुरुआत हुई थी यानी जमात उद दावा। नाम बदलना महज एक दिखावा था। काम वहीं दहशत फैलाना था। उसे बस ये दिखावा करना था कि उसका लश्कर ए तैयबा के साथ कोई संबंध नहीं है। लेकिन भारत, संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका जैसे कई देशों ने माना कि जमात उद दावा और लश्कर ए तैयबा के बीच अब भी गहरे संबंध हैं। दोनों संगठन वास्तव में एक दूसरे के पूरक हैं।
नाम बड़े और दर्शन छोटे
अक्सर दुनिया में कहीं भी आतंकी हमला होता है तो दो शब्द लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद बहुत चर्चा में आ जाता हैं। आपको बता दें कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद नाम से दुनिया में दो खूंखार आतंकी संगठन हैं। जो अक्सर हमलों की जिम्मेदारी लेते हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद का मतलब इस्लाम में आतंकवाद से नहीं है। ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन (AIIO) के प्रमुख डॉ. उमर अहमद इलियासी ने इन दोनों शब्दों का इस्लामिक अर्थ बताया है। उनका कहना है कि जिहाद को अक्सर नेगेटिव शब्द के तौर पर देखा जाता है, लेकिन इसका असली अर्थ जद्द-ओ-जहद यानी स्ट्रगल है। जिहाद एक पॉजिटिव शब्द है। इसी तरह लश्कर-ए-तैयबा का मतलब है 'मोहम्मद साहब की सेना' और जैश-ए-मोहम्मद का मतलब है 'मोहम्मद की सेना'। इसका आतंक से कोई लेना देना नहीं है।
ओसामा के अल-कायदा संग भी कनेक्शन
लश्कर-ए-तैयबा के कई सदस्य पाकिस्तानी या अफ़गान हैं। माना जाता है कि इस समूह के अफ़गानिस्तान की तालिबान सरकार और अल-कायदा के संस्थापक और नेता ओसामा बिन लादेन के साथ संबंध थे । अगस्त 1998 में लश्कर-ए-तैयबा और एक अन्य उग्रवादी मुस्लिम समूह हिज्ब-उल-मुजाहिदीन के लड़ाके तब मारे गए जब अमेरिकी क्रूज मिसाइलों ने अफ़गानिस्तान में बिन लादेन के प्रशिक्षण शिविरों पर हमला किया और मार्च 2002 में पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के एक सुरक्षित घर में अल-कायदा के एक वरिष्ठ अधिकारी को पकड़ लिया गया।