Bihar Chunav 2025 | तेजस्वी यादव पर जताया सभी ने विश्वास, कांग्रेस ने किया सरेंडर, कन्हैया कुमार बोले- महागठबंधन में कोई विवाद नहीं

By रेनू तिवारी | Jun 27, 2025

कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने शुक्रवार (27 जून, 2025) को कहा कि अगर आगामी बिहार विधानसभा चुनावों में ‘महागठबंधन’ को बहुमत मिलता है, तो मुख्यमंत्री राजद से होगा, और कहा कि तेजस्वी यादव सीएम पद के लिए मुख्य चेहरा होंगे, इस पर “कोई भ्रम या विवाद” नहीं है। कुमार ने शुक्रवार को कहा कि बिहार में ‘महागठबंधन’ की तरफ से मुख्यमंत्री पद के लिए तेजस्वी यादव के प्रमुख चेहरा होने को लेकर कोई असमंजस और विवाद नहीं है क्योंकि विधानसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन के जीतने पर सबसे बड़े घटक दल के रूप में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का नेता ही स्वाभाविक रूप से मुख्यमंत्री होगा। उन्होंने ‘पीटीआई’ को दिए साक्षात्कार में यह भी कहा कि चुनाव में मुद्दे महत्वपूर्ण हैं, लेकिन एक साजिश के तहत इनसे ध्यान भटकाने के लिए बार-बार चेहरे की बात की जा रही है।

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बिहार विधानसभा चुनाव इस साल अक्टूबर-नवंबर में होने की संभावना है। बिहार में ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) गठबंधन के घटक दलों के गठजोड़ को ‘महागठबंधन’ के नाम से जाना जाता है। इस गठबंधन में वाम दलों के साथ ही राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) शामिल हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के सबसे बड़े घटक राजद ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 52 प्रतिशत की सफलता दर से 75 सीटें हासिल की थी।

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कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ी, लेकिन उसे 27 प्रतिशत सीटों पर ही सफलता मिली थी और उसने सिर्फ 19 सीटें जीती थीं। भाकपा (माले) लिबरेशन ने 19 सीट पर चुनाव लड़ा और 12 पर जीत हासिल की थी यानी उसे 63 प्रतिशत सीटों पर कामयाबी मिली थी। बिहार में वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति के बारे में पूछे जाने पर कन्हैया कुमार ने कहा, ‘‘मेरे खयाल से पिछली बार भी बदलाव का माहौल था। थोड़े अंतर से महागठबंधन की सरकार नहीं बन पाई। पिछले पांच वर्षों से बिहार की जो स्थिति है, उससे लगता है कि (इस बार) बदलाव की बयार पहले से ज्यादा मजबूत है।

कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई के प्रभारी ने महागठबंधन के घटक दलों का उल्लेख करते हुए कहा, हम सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे। जिसकी बड़ी जिम्मेदारी है वह निभाएगा और जिसकी छोटी जिम्मेदारी है, उसका भी निर्वहन जरूरी है। एक चुटकी नमक कम तो खाना बेस्वाद और एक चुटकी ज्यादा हो तो भी खाना बेस्वाद... इसलिए सब अपनी अपनी भूमिका निभाएंगे।

बिहार में कांग्रेस के प्रमुख चेहरों में शुमार इस नेता ने महागठबंधन में सीनियर और जूनियर घटक के विचार को खारिज करते हुए कहा कि सभी दलों की अपनी भूमिका है और वे एकजुट होकर सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा, यदि आप गाड़ी को देखें तो उसमें क्लच उतना ही महत्वपूर्ण होता है जितना ब्रेक और रियर व्यू मिरर महत्वपूर्ण होते हैं। महागठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री के चेहरे और तेजस्वी यादव से जुड़े सवाल पर कुमार ने कहा, मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह जनता तय करती है। जिसके पास संख्याबल है वह मुख्यमंत्री बनेगा। स्वाभाविक रूप से राजद ज्यादा सीटों पर लड़ेगी और ज्यादा सीटों पर जीतेगी।

संख्याबल उसके पास होगा और मुख्यमंत्री पद पर उनकी दावेदारी होगी, इसको लेकर कोई संदेह नहीं है। यह पूछा गया कि क्या प्रमुख चेहरा तेजस्वी का है और इसको लेकर महागठबंधन कोई असमंजस नहीं है? इस पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, इसमें कोई संदेह, संकट या विवाद नहीं है। इसमें बिल्कुल स्पष्टता है कि महागठबंधन में प्रक्रिया के तहत चीजें हो रही हैं। सारी पार्टियों को मिलाकर मीडिया समूह बना है, सारी पार्टियों को मिलाकर घोषणापत्र समिति बनी है, सारी पार्टियां मिलकर सीटें तय करेंगी। कुमार ने दावा किया कि भाजपा नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद से हटाकर, इस पद पर अपना चेहरा लाने की कोशिश में है।

उन्होंने कहा, ऐसा नहीं है कि वे नीतीश जी के अस्वस्थ होने पर यह कोशिश कर रहे हैं। वह पहले भी प्रयास कर चुके हैं। भाजपा पिछले कई दशकों से बिहार में वही करना चाहती है जो दूसरी जगह करने में सफल रही है। मतलब पहले क्षेत्रीय दल का साथ पकड़ो और फिर धीरे-धीरे उसे निगल जाओ। बिहार में ऐसा न कर पाने की वजह से भाजपा नीतीश का साथ लेने को मजबूर हुई। कुमार ने कटाक्ष करते हुए कहा, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने कहा था कि नीतीश जी के लिए सारे दरवाजे बंद हैं। तो क्या नीतीश जी ब्लूटूथ से (राजग में) डाउनलोड हो गए ?

उन्होंने कहा कि बिहार में पलायन, बेरोजगारी, पेपर लीक, परीक्षाओं का समय पर नहीं होना, अपराध में वृद्धि और नौकरशाही की मनमानी आदि प्रमुख मुद्दे होंगे। उनका कहना था कि भाजपा बिहार में ऑपरेशन सिंदूर के मुद्दे को ज्यादा नहीं उछाल रही है क्योंकि उसे पता है कि बिहार के लोग सेना को लेकर राजनीति पसंद नहीं करेंगे।

(PTI Interview ) 

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