By नीरज कुमार दुबे | Jul 23, 2025
भारत की रक्षा क्षमताओं में तेजी से वृद्धि का दौर जारी है। हम आपको बता दें कि भारत ने "राम कवच" और CATS Warrior नाम के दो ऐसे अत्याधुनिक ड्रोन बनाये हैं जो आधुनिक हवाई युद्ध प्रणाली की दिशा को ही बदल कर रख देंगे क्योंकि इन दोनों ही ड्रोनों में दुश्मन को दहलाने की अपार क्षमताएं हैं। जहां तक राम कवच की बात है तो आपको बता दें कि यह ड्रोन आधुनिक तकनीकों से लैस है और सीमा निगरानी, निगरानी मिशन और सामरिक सूचनाओं के एकत्रीकरण के लिए एक अत्यंत उपयोगी उपकरण साबित हो सकता है। ‘राम कवच’ नाम ही दर्शाता है कि यह ड्रोन भारत के सैनिकों के लिए एक अदृश्य सुरक्षा कवच की भूमिका निभाएगा।
हम आपको बता दें कि ‘राम कवच’ एक मल्टी-रोल स्वदेशी ड्रोन सिस्टम है जिसे भारत में विकसित किया गया है। इसे विशेष रूप से सीमा क्षेत्रों की निगरानी, आतंकवाद-रोधी अभियानों और उच्च जोखिम वाले इलाकों में सैनिकों को सहायता प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है। यह भारतीय सेना, अर्धसैनिक बलों और विशेष सुरक्षा इकाइयों के लिए एक फोर्स मल्टिप्लायर के रूप में कार्य करेगा।
‘राम कवच’ की प्रमुख विशेषताओं पर गौर करें तो आपको बता दें कि इसमें लंबी दूरी तक निगरानी की क्षमता है। साथ ही यह ड्रोन 12 से 15 घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम है और 100+ किलोमीटर से अधिक दूरी तक निगरानी कर सकता है। इसके अलावा इसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित इमेज प्रोसेसिंग सिस्टम लगा है, जो संदिग्ध गतिविधियों या मानव और वाहन की स्वचालित पहचान कर सकता है। साथ ही ‘राम कवच’ में इंफ्रारेड और थर्मल कैमरा सिस्टम लगा हुआ है, जिससे यह रात के अंधेरे में भी स्पष्ट दृश्य प्रदान करता है। इसके अलावा, यह ड्रोन रियल टाइम में वीडियो और डाटा कंट्रोल स्टेशन को भेजता है, जिससे सैनिक तुरंत निर्णय ले सकते हैं। इसका डिज़ाइन ऐसा है कि यह शत्रु के रडार से बच सकता है और बिना शोर के गुप्त मिशन को अंजाम दे सकता है। हम आपको यह भी बता दें कि इस ड्रोन को हेलीपैड या रनवे की आवश्यकता नहीं होती; यह सीधे जमीन से ऊपर उड़ सकता है और वापस उसी तरह उतर सकता है।
‘राम कवच’ की रणनीतिक उपयोगिता की बात करें तो आपको बता दें कि इससे LOC (लाइन ऑफ कंट्रोल) और LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में निगरानी की जा सकेगी। घुसपैठ और आतंकवादी गतिविधियों पर त्वरित प्रतिक्रिया दी जा सकेगी। सामरिक संचार बाधाओं वाले क्षेत्रों में सैनिकों को रियल-टाइम जानकारी मिल सकेगी। साथ ही यह आपदा प्रबंधन और सर्च-एंड-रेस्क्यू मिशन में भी उपयोगी साबित होगा।
देखा जाये तो ‘राम कवच’ न केवल तकनीकी रूप से अत्याधुनिक है, बल्कि पूरी तरह से भारत में विकसित किया गया है। यह ड्रोन भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक मजबूत और व्यावहारिक उपलब्धि है। इसका निर्माण निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उद्यमों के बीच सहयोग का उदाहरण भी है। इसमें कोई संदेह नहीं कि ‘राम कवच’ ड्रोन भारत की रक्षा प्रणाली को और अधिक चौकस, स्मार्ट और सतर्क बनाएगा। यह दुश्मनों के खिलाफ एक चुपचाप मगर सटीक वार करने वाला अस्त्र है, जो हमारे सैनिकों को अधिक सुरक्षा और जानकारी प्रदान करेगा। भविष्य में इस तरह की तकनीकों का विस्तार भारत को विश्व रक्षा मानचित्र पर और भी मजबूत स्थिति में लाकर खड़ा करेगा।
हम आपको यह भी बता दें कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने एक विशेष ड्रोन Combat Air Teaming System (CATS) Warrior विकसित किया है, जो जल्द ही अपने पहले कम गति टैक्सी ट्रायल के लिए तैयार है। हम आपको बता दें कि यह एक अनमैन्ड कॉम्बैट एयर व्हीकल (UCAV) है, जिसे खास तौर पर भारत के लड़ाकू विमानों के साथ समन्वय में दुश्मन पर हमले के लिए डिज़ाइन किया गया है।
हम आपको याद दिला दें कि CATS Warrior को पहली बार इस साल आयोजित Aero India शो में प्रदर्शित किया गया था। उम्मीद है कि यह अत्याधुनिक ड्रोन वर्ष के अंत तक अपनी पहली उड़ान भी भर सकता है। इस परियोजना में HAL के साथ NewSpace Research and Technologies भी मिलकर काम कर रही है। हम आपको यह भी बता दें कि अमेरिका, चीन और रूस जैसे प्रमुख देश पहले ही इसी प्रकार के उन्नत ड्रोन तकनीकों पर कार्य कर रहे हैं। अब भारत भी उसी दिशा में आत्मनिर्भरता और शक्ति-संतुलन के साथ तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
CATS Warrior की प्रमुख विशेषताओं पर गौर करें तो आपको बता दें कि यह एक स्वचालित और स्वायत्त लड़ाकू ड्रोन है जो या तो रिमोट कंट्रोल से या पूरी तरह स्वायत्त रूप से मिशन पूरा करने में सक्षम है। इसमें दुश्मन के रडार को चकमा देकर अपने लक्ष्य तक पहुँचने और लड़ाकू विमानों के साथ मिलकर हमला करने की क्षमता है। यह स्वार्म टेक्नोलॉजी से युक्त है। हम आपको बता दें कि यह तकनीक ड्रोन को समूह में उड़कर दुश्मन की रक्षा प्रणाली को भ्रमित करने की ताकत देती है। इसके अलावा, यह ड्रोन जासूसी, निगरानी और टोही में भी सक्षम है। इसमें उच्च-सटीकता के बमों द्वारा लक्ष्य पर आक्रमण करने की क्षमता भी है।
इस ड्रोन को स्टील्थ तकनीक से बनाया गया है, जिससे दुश्मन के रडार द्वारा इसे पकड़ पाना अत्यंत कठिन हो जाता है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, इसकी ऑपरेशन रेंज 700 किलोमीटर तक है, जिसे आगे बढ़ाया भी जा सकता है। यह एयरबेस से उड़ान भर सकता है और दुश्मन की सीमा के अंदर घुसकर मिशन को अंजाम दे सकता है। उसकी रेंज इस पर निर्भर करेगी कि उसमें किस प्रकार के हथियार या मिसाइल लगे हैं।
हम आपको यह भी बता दें कि CATS Warrior अपने आंतरिक हथियार कक्ष में कई प्रकार के आधुनिक हथियारों को ले जाने में सक्षम है। इन हथियारों में Smart Anti-Airfield Weapon (SAAW), Next Generation Close Combat Missile (NGCCM) और Stand-Off Missiles शामिल हैं जो 100-200 किमी दूर से भी दुश्मन को मार गिराने में सक्षम हैं। इसके अलावा, इसमें स्मार्ट बम और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर पॉड लगे होते हैं जिनसे दुश्मन के रडार और संचार प्रणाली को जाम किया जा सकता है। इसका कुल लोडिंग कैपेसिटी लगभग 44 से 68 किलोग्राम तक है, जो इसे हमला और रक्षा दोनों के लिए उपयुक्त बनाता है।
माना जा रहा है कि इस UCAV को भारत के मौजूदा तेजस LCA और सुखोई Su-30 MKI जैसे लड़ाकू विमानों से जोड़ा जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य है पायलट को जोखिम में डाले बिना दुश्मन के ठिकानों पर गहरे और सटीक हमले करना। इसलिए इसे ‘भारत का उड़ने वाला साथी’ कहा जा रहा है। देखा जाये तो CATS Warrior का विकास भारत के आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह HAL और देश की रक्षा तकनीक को उस स्तर पर ले जा रहा है, जहां भारत अपने स्वयं के स्मार्ट युद्धक उपकरण बना सकता है। इस ड्रोन की तैनाती से न केवल भारतीय वायुसेना की क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि भारत वैश्विक सैन्य तकनीक के क्षेत्र में भी अपनी जगह और मजबूत करेगा।
इसमें कोई दो राय नहीं कि CATS Warrior भारत की रक्षा नीति में एक नई क्रांति लेकर आया है। यह भारत की 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' अभियानों को सशक्त करता है। इसकी तैनाती से भविष्य के युद्धों में भारत की रणनीतिक बढ़त और सैनिकों की सुरक्षा दोनों सुनिश्चित होगी। यह सिर्फ एक ड्रोन नहीं, बल्कि एक ऐसा तकनीकी साथी है जो भविष्य के युद्धक्षेत्र में भारत की निर्णायक उपस्थिति का प्रमाण बनेगा।