By अभिनय आकाश | Mar 26, 2022
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि भारत द्वारा हथियारों के निर्यात का मूल्य 2014 के बाद से लगभग छह गुना बढ़ गया है। चालू वित्त वर्ष में अब तक 11,607 करोड़ रुपये दर्ज किए गए हैं। रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने लोकसभा में पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि 2014-2015 के वित्तीय वर्ष में 1,941 करोड़ रुपये से, रक्षा निर्यात का मूल्य 2021-2022 में 21 मार्च तक बढ़कर 11,607 करोड़ रुपये हो गया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जबकि युद्ध सामग्री सूची मदों के निर्यात के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है, निर्यात के अवसरों का पता लगाने और वैश्विक निविदाओं में भाग लेने के लिए डीआरडीओ और रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों के सीएमडी को भी अधिकार दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि आयुध निर्माणी बोर्ड और उसके 41 कारखानों का सात रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों में निगमीकरण भी निर्यात को बढ़ावा देने में मदद करेगा। सरकार ने 2025 तक 5 अरब डॉलर (36,500 करोड़ रुपये) का वार्षिक निर्यात लक्ष्य निर्धारित किया है। इस साल जनवरी में एक प्रमुख निर्यात सौदा फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों को निर्यात करने के लिए $ 375 मिलियन (2,770 करोड़ रुपये) का अनुबंध था, जो देश के साथ-साथ इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे अन्य आसियान देशों के साथ इस तरह के और अधिक सौदों का मार्ग प्रशस्त करता है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में कहा कि रक्षा बजट को लेकर 2000 में कारगिल समीक्षा समिति बनाई गयी थी जिसमें सेना के वर्तमान अधिकारी, पूर्व अधिकारी, राजनेता और राजनयिक आदि शामिल थे। उन्होंने कहा कि समिति ने गंभीरता पूर्वक विचार किया कि रक्षा क्षेत्र को आवंटन किस तरह किया जाए। सिंह के मुताबिक समिति ने सिफारिश दी कि रक्षा के लिए बजट जीडीपी का एक निश्चित प्रतिशत निर्धारित करने की जरूरत नहीं है और साथ ही कहा कि हमें यह देखना चाहिए कि रक्षा पर खर्च हुए प्रत्येक रुपये का अधिकतम मूल्य मिले। एक अन्य पूरक प्रश्न के जवाब में राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में पूंजी व्यय से 60 प्रतिशत धन केवल भारत में उत्पादन के लिए है और सरकार जरूरत होने पर ही विदेश से आयात करेगी।